*बदलते मौसम*

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aditi rusiya
नीरू की शादी एक खाते – पीते परिवार में हुई थी । पर कहते हैं न सभी का समय एक समान नहीं रहता । कुछ पति की बुरी संगत तो कुछ ससुर की बीमारी की वजह से नीरू को अपने सारे गहने, मकान सभी बेचना पड़े । एक समय ऐसा आया जब नीरू के पास पैसा नहीं बचा , उसकी आर्थिक स्थिति बहुत कमज़ोर हो गई । नीरू पास के ही बाज़ार में जाकर मनिहारी का समान बेचने लगी । जैसे तैसे अपना घर चला ही लेती । नीरू ने कभी अपने मायक़े वालों के सामने भी कभी हाथ नहीं पसारा जो मिला उतने में ही संतुष्ट रहती । नीरू के बच्चे छोटे थे अतः पढ़ाई का ख़र्च भी था । नीरू ने अपने बच्चों का दाख़िला एक सरकारी स्कूल में करवा दिया । दो बेटे और एक बेटी थी । आठवीं कक्षा के बाद बड़े बेटे ने अपनी पढ़ाई छोड़ माँ और पिता का हाथ बटाना शुरू कर दिया ।

राहुल के साथ नीरू बाज़ार में दुकान लगाती और रमेश गाँव गाँव जाकर मनोहारी का सामान बेचने लगे । पैसा नहीं था तो नीरू  मायक़े जाना भी अच्छा नहीं लगता था । उसे दूसरी बहनों की तरह मान सम्मान भी नहीं मिलता था। राहुल कदी मेहनत करता । उसने ख़ुद तो पढ़ाई छोड़ दी थी पर अपने भाई बहनों को पढ़ाना चाहता था । राहुल ख़ूब मेहनत कर्रता उसकी मेहनत रंग लाने लगी । धीरे धीरे पैसे जोड़कर राहुल ने एक ठेला ख़रीदा , फिर दुकान किराए पर उठाई ।राहुल की  दुकान ख़ूब चलने  लगी । भाई ने भी कालेज़  की पढ़ाई पूरी कर भाई का साथ दिया ।

आज राहुल का बाज़ार में नामी लोगों में नाम आने लगा । उसके पास अपना ख़ुद का घर , गाड़ी , दुकान सब कुछ है । राहुल और रिया के लिए भी एक से बड़ कर एक रिश्ते आ रहे हैं वो मान सम्मान सब कुछ मिल रहा है जो नीरू को मिलना चाहिए था । सभी खाने की मेज़ पर बैठे थे कि फ़ोन की घंटी बज उठी ! रिया ने कहा माँ किसका फ़ोन है ? मामा का है नया घर बनाया है  ग्रहप्रवेश में बुलाया है कहते हुए नीरू ने गहरी साँस ली
राहुल ने कहा माँ देखा !  *मौसम की तरह रिश्ते भी बदलते है*
यहाँ जिसके पास पैसा है उसी के आगे पीछे दुनियाँ डोलती है ।।

अदिति रूसिया
वारासिवनी

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।