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मेरे घर नई कामवाली बाई ने काम शुरु किया जो बहुत गरीब थी। साथ में ४ बच्चे-३लड़की, १ लड़का। मैंने पूछा-आज के समय में इतने बच्चे.. कहने लगी कि, बेटे के इंतज़ार में लड़कियां हो गयी। पति ज्यादा कमाता भी नहीं था। जो कमाता था वो दारु में उड़ा देता […]

एक बहुत बड़े संत का धार्मिक आयोजन हो रहा था। पूरे शहर में पोस्टर-बैनर पटे पड़े थे। बहुत बड़ा यज्ञ था। सारे मंत्री-विधायक यज्ञ की देख-रेख में लगे थे। हर दिन लाखों मिट्टी के शिवलिंग बनाकर शिवार्चन हो रहा था। आसपास के खेतों से टनों मिट्टी लाई जा रही थी। […]

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पूरा परिवार इकट्ठा हो पतंग उड़ा रहा थां,पतंग उड़ाते-उड़ाते पत्नी की ओर एक मासूम-सा सवाल आया-रिश्ते भी माँझे की तरह होना चाहिए न…? इतने ही मजबूत…है न…? ‘नहीं प्रिये…!’ जवाब भी मजबूत था। माँझे की तरह नहीं,रेशम की तरह…l ‘क्यों…? रेशम तो कितना नाजुक होता है न ?’ ‘हाँ…! मगर […]

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सुना था और हमेशा देखा भी था कि, नाम का असर व्यक्ति के चरित्र पर पड़ता है। आज भी वही सच देखा। ‘प्रीति’,परिवार की छोटी ही नहीं, बल्कि चार बहनों और एक भाई में दूसरे नम्बर की है। माँ,भाई के जन्म के दो माह बाद स्वर्गवासी हो गई। सभी भाई-बहनों […]

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प्रकरण 1-आज बेटी के चेहरे पर चोट के निशान देख कुछ शंका हुई। बिना बताए उसके ट्यूशन वाले कमरे में कैमरा लगवाया। अगले दिन देखने पर दंग रह गई कि,ट्यूटर बच्ची को पीट रही थी बेदर्दी से। तुरंत पुलिस बुलाकर ट्यूटर को अंदर कराया और नई तकनीक को धन्यवाद दिया […]

  फूंऊं.ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ…यह शंख की  आवाज़ थी-न सिर्फ मंदिर से डूंगा के कान तक,बल्कि गांव के कोने-कुचाले तक पसरी और लंबी। गंधहीन और अदृश्य। ध्वनि भी क्या! बस,शंख के पिछवाडे़ में फूंकी एक लंबी फूंक,जो शंख के मुंह से ऊंचा स्वर लिए,तेजी से बाहर निकली […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।