‘कौन हूँ मैं’???,कितनी सहजता से हम इसे यत्र-तत्र चिंतन के विषय रूप में प्रस्तुत कर देते हैं। सत्य तो यह है कि, ये विषय है ही नहीं,अपितु ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर तलाशते-तलाशते सदियाँ ही नहीं,अपितु न जाने कितने युग बीते हैं। कहते हैं कि जो इस प्रश्न का […]
धर्मदर्शन
धर्मदर्शन
शिव में मात्रा…जीवन की है.. शिव ही तो है…खेंवईया, शिव तांडव से…नृत्य कलाएं.. शिव डमरू से…स्वर-लहरियां॥ शिव से ही है…वशीकरण तो.. शिव से ही…उच्चाटन है, शिव से ही है…सुंदरता तो.. शिव ही सत्य…सनातन है॥ शिव से ही…मानवता पलती.. शिव ही करते…रखवारी, शिव कण्ठ में…गरल समाया.. शिव मस्तक पर…गंगझारी॥ शिव त्रिशूल […]
हे माधव, कहाँ…हो आओ.. हे ..नाथ भूल चुके हैं पार्थ। कर्म ..की ..गीता कर्तव्य..से..रीता धर्म का आवाहन् नहीं ..रहा..पावन। जब…. कि , पाप ..का ..सूरज ..चढ़ा है, जयद्रथ ने चक्रव्यूह गढ़ा है महाभारत की पृष्ठभूमि तैयार है कुरुक्षेत्र.. में ..रण.. हुंकार … है। किन्तु …गांडीवधारी अर्जुन, मोह.. की ..माया ..से […]