दास्ताँ दर्दे दिल की सुनाते रहे। वो हमें देखकर मुस्कराते रहे। टूटकर के बिखरने से क्या फायदा। ये गलत है उन्हें हम सिखाते रहे। जब कभी देखा गम़गीन मैंने उन्हें। आँख में अश्क अपने छुपाते रहे। हम शिकायत करें भी तो किससे करें। जब खुदा खुद […]
काव्यभाषा
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