जीवन के तप्त मरू में, प्रेम सुधा बरसाना। प्रीतम जब भी हो, तुम लौट के आना॥ न जीने की है आस, हरदम रहूँ उदास। ख्वाबों में तुम ही खास, तुम लौट के आना॥ करती प्रिये प्रेम निवेदन, सुन करो सँवेदन। मन का होता भेदन, तुम लौट के आना॥ दर्पण तुझे […]
काव्यभाषा
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