प्यार इबादत है पूजा है इसमें न राग है न द्वेष प्यार के रंग अलग अलग माँ ने किया तो ममता है प्यार पिता ने किया तो बन जाता वो आशीर्वाद है प्यार दोस्तों ने किया तो अटूट दोस्ती की निशानी है प्यार अपनों ने किया तो अटूट रिश्ता होता […]
काव्यभाषा
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इंसाँ झूठे होते हैं इंसाँ का दर्द झूठा नहीं होता इन होंठों पर भी हंसी होती गर अपना कोई रूठा नहीं होता। मैं जानता हूं कि आंखों में बसे रुख़ को मिटाया नहीं जाता, यादों में समाये अपनों को भुलाया नहीं जाता। रह–रहकर याद आती है अपनों की ये ग़म छुपाया नहीं जाता, सपनों में डूबी पलकों की कतारों को यूं उठाया नहीं जाता। इंसाँ झूठे होते हैं इंसाँ का दर्द झूठा नहीं होता इन होंठों पर भी हंसी होती गर अपना कोई रूठा नहीं होता। #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 489