ये कैसा अजीब मंजर है, हर के हाथ खंजर है.. यहाँ पैदावार कम होती है, सारी जमीन ही बंजर है। पढ़ लिखकर क्या पाएगा, पिता पुत्र को समझाता है.. पढ़े-लिखे सब बेरोजगार हैं, फिर खेती से भी जाएगा। तेरे बड़े भाई को पढ़ाया था, उसने उम्मीदों को जगाया था.. अब तक […]
काव्यभाषा
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