मिल गई आजादी हमें- अपना राज करने की, अपनी जेब भरने की और मनमानी करने की॥ मिल गई आजादी हमें- जनता को मूर्ख बनाने की, जनता को फुसलाने की नई नीति बनाने की, झूठ-मूठ में बतियाने की॥ मिल गई आजादी हमें- सम्पत्तियां हड़पने की, ख़ामोखा खड़कने की किसी को भी […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
कौम-वाद,जाति-वाद, सम्प्रदाय-वाद,आरक्षण। जनता का यूँ, कर भक्षण, और कितनी,रोटी सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ ये असुरक्षित,वो गद्दार, कोई न वतन का,पहरेदार। आग लगाकर,अमन-चमन में, हाथ भला,कब तक सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ भले देश,नष्ट हो जाए, बस गद्दी इन्हें,मिल जाए। लोगों की […]