मैं किसान हूं और कोलिया(डिडवाना राजस्थान)गाँव से हूँ,इसलिए हमें ‘मारवाड़ी’ कहा जाता है। हमारा गाँव अपने मतिरो(तरबूज)के लिए प्रसिद्ध है। जब मैं छोटा था,तब इंदौर रहने के कारण गर्मी की छुट्टियों में ही गांव जाते थे। मेरे गाँव के किसान व दादाजी फसल के अंत में मई महीने में तरबूज(मतिरो)खाने […]

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बचपन से काँटों में खेला, आई न कोई सुख की बेला.. कहते हो ये सहज मान लूँ, पर कैसे दिल को समझाऊँ.. कैसे गीत खुशी के गाऊँ। जी भर कर मैं रो न पाया, करवट बदली सो न पाया.. आँसू बोझ न कम कर पाए, लब पे हँसी कहाँ से […]

आँसूओं के दरिया बहाने से कुछ नहीं होगा, उठ और कर संघर्ष,रोने से कुछ नहीं होगा। ये जहां तो ऐसे ही हँसता आया है दूसरों पर, मनाकर यूँ हार-जीत खोने से कुछ नहीं होगा। दिखा दे कि हिम्मत और हौंसले अभी बुलंद हैं, गवाँकर मौका चैन से सोने से कुछ […]

देश की खतिर दिल को तोड़े, घर अपना ये खुद ही छोड़े। कितने अरमा कितने सपने, ख्वाब सजाए दिल में कितने। याद सताए जब अपनों की, लिखी है पाती फिर सपनों की। मन बंजारा इत-उत डोले, पी की याद में मन ये बोले। लिख दूँ खत मैं तुमको जाना, मुश्किल […]

खिल रहे कनक से अमलतास, मस्ती में महुआ महक उठा। अमराई में बोर महकते वन, का खग मंडल चहक उठा।। कोपल पात नवल से आए, तरु चंचल मन बहक उठा। कुसुम पलाश के खिले-खिले कानन का आंगन दहक उठा।। नव नूतन श्रृंगार किए प्रकृति, का मुख मंडल दमक उठा। बसंत […]

नई फिल्म ‘शाबाना’ की कहानी ‘बेबी’ फिल्म से जोड़ी गई है। हाल ही में प्रदर्शित हुई यह फिल्म प्रीक्वल है ‘बेबी’ की। निर्देशक शिवम भाटिया ने भाग जानी,आहिस्ता-आहिस्ता, महारथी (टीवी सीरियल) के बाद नीरज पांडे लिखित फिल्म ‘नाम शाबाना’ निर्देशित की है। फिल्म की कहानी विदेश से शुरू होती है,जहां […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।