‘सुनीता कब से बोल रही हूँ,रोटी बनाने क़ो ! सुन ही नहीं रही। इतनी देर से फ़ोन पर किससे बातें कर रही है ?’ रीता झुंझलाते हुए आउटहाउस में सुनीता के कमरे की ओर चली गई। सुनीता हाथ में मोबाइल पकड़े हुए बुत-सी खड़ी थी और उसकी आँखों से लगातार […]
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मुद्दतें गुज़र गई,तफ्सील से बतियाए। हुई इनायत-ए-खुदा,कि आखिर आप आए॥ शाम-ए-ग़ज़ल सुनाऊँ या,हाल-ए-दिल सुनूं तुम्हारा। नज़र-ए-बयां करुं या,दिखाऊँ यह दिलनशीं नज़ारा॥ तेरी मासूमियत पर,मेरी ख़ुशी मुस्कुराए। मुद्दतें गुजर गई,तफ्सील से बतियाए॥ हुई इनायत-ए-खुदा,कि आखिर आप आए। आलम गुज़रे ज़माने का,न कभी मज़लिस नाम हुआ। मिटी कभी तन्हाई तो,मैं महफ़िल में […]