‘सुनीता कब से बोल रही हूँ,रोटी बनाने क़ो ! सुन ही नहीं रही। इतनी देर से फ़ोन पर किससे बातें कर रही है ?’ रीता झुंझलाते हुए आउटहाउस में सुनीता के कमरे की ओर चली गई। सुनीता हाथ में मोबाइल पकड़े हुए बुत-सी खड़ी थी और उसकी आँखों से लगातार […]

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तेरे संग रंग सब होली के और रात दिवाली लगते हैं, बिन तेरे दिल के हर कोने सब खाली-खाली लगते हैं। और लगते हैं मौसम सारे जैसे कुदरत का ताना, तेरे बिन अब गीत कहां और बिन तेरे अब क्या गाना॥ अश्कों के माफिक लगती है अब तो सारी बरसातें, […]

एक कथा दो सभ्यता, बुनी पटकथा कर दी खता। परतंत्र थे न स्वतंत्र थे, आतताइयों के सब षड्यंत्र थे। अपने ही कुछ गद्दार थे, उनके बढ़े यूँ अत्याचार थे। दोहराओ तुम न भुलाओ तुम, घाव दासता के दिखलाओ तुम। भूलेंगे न हम बलिदान को, बट्टा न लगे कुलमान को। उत्तेजित […]

हे ! राम तुम्हारा नाम लेकर ये जगत सारा जीता है, जीवन की कठिनाइयों भरा जहर सारा पीता है। मुश्किल घड़ी जब आती है तो तुम ही याद आते हो, दर्द भरे ज़ख्मों को हमारे तुम ही तो सहलाते हो। जन्म-मरण के बीच की तुम ही तो कड़ी हो, तुम […]

मुद्दतें गुज़र गई,तफ्सील से बतियाए। हुई इनायत-ए-खुदा,कि आखिर आप आए॥ शाम-ए-ग़ज़ल सुनाऊँ या,हाल-ए-दिल सुनूं तुम्हारा। नज़र-ए-बयां करुं या,दिखाऊँ यह दिलनशीं नज़ारा॥ तेरी मासूमियत पर,मेरी ख़ुशी मुस्कुराए। मुद्दतें गुजर गई,तफ्सील से बतियाए॥ हुई इनायत-ए-खुदा,कि आखिर आप आए। आलम गुज़रे ज़माने का,न कभी मज़लिस नाम हुआ। मिटी कभी तन्हाई तो,मैं महफ़िल में […]

बुझाने प्यास को दिल बेहिसाब मांगेगा, तुम्हारी आँख से ताज़ा शराब मांगेगा। मेरा यकीन यकीनन उसे न आएगा, सवाल करता रहेगा जवाब मांगेगा। मैं चाँद-तारे बिछाता हूँ जिसकी राहों में, मुझे जलाने को वह आफताब मांगेगा। मिला ‘रऊफ’ से मुद्दत के बाद वह आकर, जो ज़िन्दगी का हिसाबो-किताब मांगेगा॥   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।