नहीं भरोसा कर सकते, तो कोई क्या कर सकता है। राम भक्त-सा हृदय चीरकर, बस असमय मर सकता है॥ जब अपने दिल-दर्पण को, हम साफ नहीं रख पाएंगे। इम्तहान जीवन भर देगा, किन्तु नहीं तर सकता है॥ […]
(रस-श्रृंगार रस (वियोग श्रृंगार),वियोग श्रृंगार का पहला प्रकार-पूर्वराग,आलंबना -कृष्ण,उद्दीपन-एकांत,ऋतु,अनुभाव- निष्प्राण और संचारी भाव-जड़ता है) विरह हृदय पर नयन पसारो॥ श्यामल अंबर वृंदावन है,आओ कुंज विहारो। कंचन तन अरु मन मधुवन है,आकर मोहिं निहारो, सकल जगत निष्प्राण हुआ ज्यों,उर जड़ता को हारो। राधा हूँ, पिय अंतर्मन की, इव दुख बोझ उतारो। […]