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बाद मरने के उनको खबर लग गई,कब्र पे आ के आंसू बहाने लगे, आए हैं अब मेरे दरवाजे पे,छोड़कर जब जहां हम ये जाने लगे। वादे तो ना निभाए थे पहले कभी,आज रस्में सभी वो निभाने लगे, जीते जी जो कभी ना हमारे हुए,आज काँधे पे हमको उठाने लगे। कहने […]

  कहीं सुख है कहीं दुःख है, इसी का नाम दुनिया है। नहीं कुछ भी बिना, कठिनाइयों के जो मिले जग में। किसी भी और जाओ, आएंगें दुःख कष्ट तो मग में। कभी आशा चमकती है, निराशा का कभी तम है। वहीं नर वीर हैं जो दशाओं, में सदा सम […]

मोबाइल और कम्प्यूटर में उलझ गया है मन, लाओ ! चार किताबें दे दो जिसमें हो बचपन। दादी,नानी रही न संग में कौन सुनाए किस्से, अब तो केवल आधुनिक मम्मी-पापा हैं हिस्से। समय की दौड़ा-दौड़ी में वो खो गया नटखटपन। लाओ ! चार किताबें दे दो जिसमें हो बचपन। परी […]

दुखों के वन में ख़ुशी की गोरैया आती, खिड़की की बारीक़ जाली से देखती हैं घर की दीवारों में, रंगीन चित्रों पर जब काले साए, एक पल तो सहम जाती है अपने पंखों में छिप जाती है, प्रयास करती है उड़ जाने को, खुले नीले अम्बर में पर नहीं कहती […]

शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ। कहना चाहूँ क्या-क्या,लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ॥ सुनकर ही,उस पर ही चलना आदत को मंजूर नहीं। रुककर थोड़ा मनन न कर सकूँ,ऐसा तो मजबूर नहीं॥ सीधी-साधी बातों में ही कितना कुछ मैं पा जाता हूँ। शब्दों के चक्रव्यूह में […]

कुछ प्रीत जगानी थी मुझको, कुछ रीत निभानी थी मुझको। कुछ ऐसे गीत सुनाने थे, जो महफिल को भी भाने थे॥ कुछ सूरज की अरुणाई के, कुछ तरुणों की तरुणाई के। कुछ देश धरा की माटी के, कुछ भारत की परिपाटी के। कुछ ऐसे नगमे गाने थे’ जो महफिल को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।