हवाओं में ये कैसी कसक है , शब्दों में , इन्द्रधनुषी चमक है , शब्द हवाओं में खो गए है , कुछ पल यादों में सो गए है , मधुशाला में बैठ , हर शाम कुछ कहते है , मैखानो में ही क्यों , हर गम यूँ बहते है , […]

जीवन एक नाटक है इसे समझ लो खूब इससे लगाव करने की कभी न करो भूल दृष्टा बनकर रहोगे जब तक बेहद का सुख पाओगें तब तक परमात्मा है निर्देशक इसका जो करायेगा ,वही करेंगे हम रोल अपना निभाएंगे हम फिर फिक्र किस बात की प्यारे जब प्रभु ही नाटक […]

बचपन की यादो को भूलाया जा नहीं सकता / दादा दादी नाना नानी का प्यार, कभी भी दिल दिमाग से मिटाया जा नहीं सकता / अपनो का प्यार कैसा भी रहा हो , पर उसे जीवन के पन्नो से भुलाया जा नहीं सकता  / बड़ी मुश्किल में हूँ, कैसे इज़हार […]

रमेश सीधा – सादा अंतर्मुखी युवक था । स्नातक के अंतिम वर्ष तक आते आते भी महाविद्यालय में उसके कोई स्थाई मित्र नहीं बने थे । रमेश के इस व्यवहार से अनेक आवारा छात्र अक्सर उसे परेशान किया करते थे । खुद को असुरक्षित पाकर भी वह सबकी अनदेखी ही […]

इस जहाँ  में ख़लिश मैं ही हूँ दीवाना  या रात की ख़ामोशी सुनता है कोई और भी आसमान के नीदों में चहलक़दमी करके धरती के  ख़्वाब बुनता  है कोई और भी हवा  के ज़ुल्फ़ों से बिखरे आफ़ताबों को ओंस की डाली में चुनता है कोई और भी धूप के टुकड़ों […]

एक खाली बर्तन सी लूढकती देह पसीने की बूँद बूँद से छलक जाती है जब; एक शून्यगामी वृक्ष सी खडी काया नख -शिख भीग जाती है श्रम मेह बरसने से जब ऊँगलियों के पौर पौर तक टपकती है नमी… मुख शिला पर लकीरें बना लेते है स्वेद कण…. ऐसे मे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।