देख ऊँचाई एवरेस्ट की, अच्छे अच्छे थर्राते हैं। है जुनून जिसके अन्दर, एवरेस्ट वही चढ़ पाते हैं। श्वेत वर्फ़ की चूनर ओढ़े, चोटियाँ हमें लुभाती हैं। आकर हमको गले लगाओ, ये हमको पास बुलातीं हैं। धीरे धीरे और होले होले, आ जाओ मेरे दीवानों। रखना सब्र बहुत दिल में, मत […]

प्रभु जोशी का अंतिम लेखन इन दिनों एक बार फिर , स्त्री-स्वतंत्रता के हितैषी तर्क , एक नई विचार शक्ति के साथ आते दिखाई देने लगे हैं। एक बन्द और पिछड़े समाज में, ऐसी शक्तिशाली लहर का ज्वार भाटे का रूप ले लेना, बहुत शुभ लक्षण हैं। उसका चतुर्दिक स्वागत […]

कोरोना महामारी का दौर मानवीय काया के लिए बेहद कठिनाई भरा है। इस कठिन दौर में जहां पूरा समाज परोपकार में लगा है वहीं कुछ लोगों लाभ कमाने के लिए मानवीयता को तार-तार करने में भी जुटे हैं। नकली दवाओं से लेकर ब्लैक मार्केटिंग तक के अनगिनत मामले सामने आ […]

कर कर के मैं थक गया जीवन भर काम। सबको व्यवस्थित करके किया अपना काम। जब आया थोड़ा सा मौका मिल ने को आराम। तभी थमा दिया मुझे एक प्यारा सा पैगाम। जाकर तुम अब देखो पुन: एक नया काम। वाह री मेरी किस्मत और वाह रे मेरा नसीब। कभी […]

एक बात समझ ना आवे, क्यों नशे की लत जावे? स्वास्थ्य की कर दे ऐसी तैसी, हमको बड़ा रुलावे। हंसते खेलते मानव को फिर, खून के आँसू रुलावे। कैंसर जैसी जानलेवा, बीमारी फैलावे। एक बात …………. मधुमेह का खतरा मण्डरावे, प्रजनन की क्षमता घटावे। श्वांस रोग को गले लगाकर, हृदयाघात […]

संकट का यह दौर है चारो तरफ यह शोर है मीडिया पर भी संकट है राह नही निष्कंटक है ख़तरे में कवरेज करते वॉरियर फिर भी न बनते हर दिन चार पत्रकार मरे नोकरी से कुछ दूर करे तनख्वाह भी आधी हो गई जिंदगी बचानी भारी हो गई प्रिंट मीडिया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।