नफ़रत नहीं दिलों की मिठास को छू लें आओ कि आकाश को छू लें बेदर्द सा जीने की गुज़ारिश न कर कोई ऑक्सीजन के मोहताज को छू लें उसके हुनर पे जल-जल बैठने से अच्छा कभ जीत की उल्लास को छू लें मन ताज़ा हो बग़ीचा में टहलकर सुबह अछूत का बच्चा उदास को छू लें अच्छा नहीं निकलना मुँह देखकर तुम्हारा पाखण्ड के सताए खरमास को छू लें परिंदे जात भूल जाते हैं विमान देखकर आओ कि आकाश को छू लें ना मज़हब होता ना दिलों से दूरियाँ अगर थोड़ा-थोडा बर्दाश्त को छू लें लूटा दिए हैं जुए में सारे मोहरे अब तक कभी दिल जीतने की ताश को छू लें ज़माने से बेख़बर को भी सपने दिखाया कर आओ कि आकाश को छू लें नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड) सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ […]