मुर्गा बाँग न देने पाता उठ जाती अँधियारे अम्मा छेड़ रही चकिया पर भैरव राग बड़े भिनसारे अम्मा । सानी-चाट चरोहन चटकर गइया भरे दूध से दोहनी लिये गिलसिया खड़ी द्वार पर टिकी भीत से हँसी मोहनी । शील, दया, ममता, सनेह के बाँट रही उजियारे अम्मा । चौका बर्तन […]