जगा देता है माँ को, प्रातःकाल के कर्तव्य का सूरज, मध्यान्ह काल में तपता मन काम के बोझ से, संध्या में निढाल तन अस्त होते सूर्य-सा। सोते वक्त थकान टूट-टूटकर गिरती है अस्त-व्यस्त बिस्तर पर। शयन कक्ष में रात को दीवारों पर चिपका देती है दिनभर के काम और मन […]