हे माधव, कहाँ…हो आओ.. हे ..नाथ भूल चुके हैं पार्थ। कर्म ..की ..गीता कर्तव्य..से..रीता धर्म का आवाहन् नहीं ..रहा..पावन। जब…. कि , पाप ..का ..सूरज ..चढ़ा है, जयद्रथ ने चक्रव्यूह गढ़ा है महाभारत की पृष्ठभूमि तैयार है कुरुक्षेत्र.. में ..रण.. हुंकार … है। किन्तु …गांडीवधारी अर्जुन, मोह.. की ..माया ..से […]

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बहुत रोका मगर ये कब रुके हैं, ये आँसू तो मेरे तुम पर गए हैं। जो तुमने मेरी पलकों में रखॆ थे, वो सपने मुझको शूलों से गड़े हैं। न सीता है, न अब है राम कोई, चरित्र ऎसे कथाओं में मिले हैं। जो आने के बहाने ढूंढते थे, वो […]

हे मुरारी,मदन मोहन फिर नए सपने बुना दो, हैं खड़े अर्जुन भ्रमित,पुरुषार्थ की गीता सुना दो। नींव तक निज संस्कारों की उखड़ती जा रही है, रक्ष संस्कृति की पुन: विष बेल बढ़ती जा रही है। दिग्भ्रमित धरमावलंबी  टोलियों  में बंट गए हैं, ज्ञान  के भंडार  सारे अब धरा पर घट […]

रिश्तों के एक शहर को,बसाने की बात कर, रुठे  हुए  दिलों  को, मनाने  की  बात कर। हाथों में हाथ ले  के,बढ़ना ओ साथी मेरे, भारत की अस्मिता को,बचाने की बात कर। बढ़कर  के  जिंदगी में,जिंदादिली के साथ, आपस के बैर अब तो,भुलाने की बात कर। भारत का शौर्य सोया,रिपु वंश […]

शिव की कृपा अपार…महीना सावन का। खुले मोक्ष का द्वार…महीना सावन  का॥ सजे शिवालय शोभित शशिधर…, भस्म रमी, मृग चर्म अंग पर…..। शीश गंग की धार…महीना सावन का॥ शिव की कृपा अपार…महीना सावन का। खुले मोक्ष का द्वार…महीना…॥ भांग धतूरा अक्षत चंदन…, बेलपत्र को करिके अर्पन…। माला पुष्प मदार…महीना सावन […]

निज तप से शिव को प्रसन्न कर शिवलिंग ले लंकेश चला। हरि प्रेरित माया से लिंग रख रावण दिशा निवेश चला॥ लघुशंका से हो निवृत्त जब लिंग लगा उठाने वह। सारी शक्ति लगा दी लेकिन किंचित भी न लिंग टला॥ कहलाई वह भूमि देवधर सती हृदय की राशी का। मनोकामना […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।