वो मेरे घर पे आते नहीं अपने घर पे बुलाते नहीं परीशां खूब है वो भी वजह क्या है बताते नहीं बातें हुई ज़माने भर की पर निगाहों को उठाते नहीं कैसे होगी मंज़िल आसान हया का पर्दा भी गिराते नहीं कैसे मालूम होगी रज़ामंदी इश्क़ अपना तो जताते नहीं […]

कभी खुद का भी दौरा किया कीजिए जो जहर है निगाहों में पिया कीजिए झूठी सूरत,झूठी सीरत और झूठा संसार सच के खिलने का आश्वासन भी दिया कीजिए हँसी मतलबी,आँसू नकली,बेमानी सब बातें ज़ुबाँ ही नहीं,तासीर को भी सिया कीजिए हवा में सारे वायदे,बेशक़्ल सारी तस्वीरें हिसाब को कभी तो […]

जो मकाँ बनाते हैं,वो अपना घर नहीं बना पाते रेगिस्तान में उगने वाले पौधे जड़ नहीं बना पाते जिन्हें आदत हैं औरों के रहमो-करम पे जीने के वो कूबत होते हुए भी अपना डर नहीं बना पाते जो पहचानते हैं इंसानों को सिर्फ औकात से वो कभी किसी के दिल […]

शाम ढले तुम छत पे क्यूँ आते हो मुझे मालूम है चाँद को जलाते हो तुम से ही नहीं रौशन ये जहाँ सारा मुस्कुराकर तुम उसे यह बताते हो होंगे सितारे तुम्हारे हुश्न पर लट्टू गिराके दुपट्टा ये गुमाँ भी भुलाते हो हुई पुरानी तुम्हारी अदाओं की तारीफें रोककर सबकी […]

सुना है कि आप लड़ते बहुत हैं शायद बातचीत से डरते बहुत हैं मन्दिर-मस्जिद की आड़ लेकर मासूमों पर जुल्म करते बहुत हैं देशभक्त आपके अलावे और भी हैं ऐसा कहें तो आप बिगड़ते बहुत हैं रस्मों-रिवाज़ की नसें काट कर आप चन्दन रोज रगड़ते बहुत हैं जो कलंक मिट […]

कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे छोड़ो उस आसमाँ के चाँद को,मगरूर बहुत है रातों को अपनी गली में हम चाँद बड़ी-बड़ी दिखाएँगे किस्सों में जो अब तक तुम सुनते आए सदियों से मेरा मुँह चूमता हुआ तुम्हें वही पुरनम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।