घुटन के साथ तमन्नाओं का जैसे मचलना है, एक जुगनू का घोर अंधरों में जैसे चमकना है। एक लकीर-सी खिंची है जो क्षितिज में, अब उड़कर उसको भी पार करना है। अपने ही द्वन्द में पछाड़ खाते हैं बार- बार, लगता है लिखा अपने हाथों ही मारना है। एक बहरुपिया […]
sumit
आज फिर दिल ने एक नगमा गाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। उन पुराने पन्नों से धूल सारी उड़-सी गई, सूखी स्याही ने भी कुछ लिखना चाहा है। बुझे चिरागों से रोशनी-सी आई है, खिजा के फूलों ने फिज़ा महकाई है। दिल-ए-तन्हा आज फिर मुस्कुराया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। आज रंगे शमा खिला-खिला-सा है, अंदाजे शोर कुछ महफिल-सा है। प्यासे प्यालों ने जी भर के ज़ाम पाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। […]