तलाशती हूँ अब भी, खामोशियों में गूंजती तेरी वो आवाज़ जो दे जाती थी राहत…..। बिना कुछ कहे आ जाता था सुकून… बिना सहलाए भी, लग जाता था मरहम। जिंदगी का हर ज़ख्म भर जाता था आ ही जाती थी चेहरे पर इक हँसी तेरे चेहरे की सौम्य मुस्कुराहट….. तलाशती […]

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जीवन में कभी, लगता है यूँ ही.. कुछ कर्म कटें कुछ बोझ हटे शायद तब ही लेती ज़िंदगी आज़माइशें……। कुछ उलझे पल, कुछ बोझिल दिल… कुछ थकता मन यादें पल छिन शख्सियत को मुक्कमल करतीं आज़माइशें……। कोई अंत नहीं दूजा पंथ नहीं. न चैन कहीं न विकल्प कोई करतीं मन […]

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धूप जैसे बरसती रही प्यार की, ज़िंदगी गुनगुनी-सी सिंकती रही.. तेरे वजूद की गर्मियाँ ही तो थीं, सर्द मौसम में दुशाले-सी लिपटी रहीं। धुंधली होती रही जो वक्त की गर्द से, उन लम्हों की महक अब भी बाकी तो है.. भीनी-भीनी सही,पर मिट न सकी, रुह के नूर में जैसे […]

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‘अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस विशेष’ लफ्जों को ढालना, कविता नहीं होती.. दिल तक उतर सके, कविता उसे कहें। पीड़ाओं की गणित, शिकवों के पुलिंदे.. शब्दों में बाँधकर, कविता नहीं होती। पीड़ा जो सोख ले, शिकवे समोह ले.. जस्बों को साध ले, कविता उसे कहें। उलाहना दे जो, अतृप्त जो रहे.. हर्फों […]

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जीवन भर, करती रही माँ बस इंतज़ार….. मेरे आने की आहट, महसूस की जब कोख में बिना जाने भी मुझे मेरे जन्म लेने का… करती रही माँ बस इंतज़ार……। गोदी में उसकी जब अठखेलियाँ करते दिन भर उलझाया उसे थकी हारी,मेरे सो जाने का… करती रही माँ बस इंतज़ार…..। नटखट […]

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सहे,सह न सके, मन की पीड़ा। समय बीते बीत नहीं पाए क्यूँ, बीते लम्हे। आँखों में टाँकी, आँसूओं की झालर.. लुढ़का मोती। झुर्रियाँ हैं या, समय की लकीरें.. खिंची रुख पर। गहरी होती, उम्र के साथ-साथ.. बुज़ुर्ग आँखें। जीवन दौड़े, रेल की ही मानिंद.. ठहरे कहाँ। अक्षय निधि, माँ-पिता का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।