हे राम वहां तुम कैसे हो, कुछ तो बतलाना ऐसे हो। हैं भक्ति-भाव में डूबे हम, क्यूँ अपनेपन से रीते हैं।। अपने-अपने का रंग चढा़, पर,परहित कहां पर होता है। मन की सारी इच्छाओं का, अंत कहां पर होता है।। जीवन की आपा-धापी में, श्वांसों की गणना मंद हुई। धन […]
kartikey
मंद-मंद मुस्काती बेटी, जीवन का सार सबल बेटी.. गंगा-जमुना-सी निर्मल धार,. झरने-सी,कलकल बेटी। नव आशा का उज्ज्वल दर्पण, पलती-पढ़ती बन होनहार. प्रकृति का उन्मत्त श्रंगार, मुस्कानों का उद्गम स्थल.. जीवन का सार सबल बेटी, मंद-मंद मुस्काती बेटी। बेटे की आस रहा करती, बेटी फसलों-सी लहलहाती.. अपने कर्तव्यों की सीमा पर, […]