अपनी आदतें, स्वयं की मांग,मोहलत,स्वभाव,व्यवहार… शेष नही रहता…? शामिल करते नहीं ओरों की चाह वो फिक्र किसी की परवाह.. खुद-से-खुद उलझे रहते दिखती नहीं कोई डगर… बदलाव नहीं अपनाते, नजरों से बेखबर रहते… ओरों के बेरंग नजारे रंगीन वो लगते खटास भरी महफिल खुद के सप्तरंगों को हराते या..स्वयं से […]
trivedi
दरिया बहती… बढ़ती जाती… पल-पल एहसास कराती, नदियों से मिल.. खिल लहरों से, नव सागर एक दीप्त बनाती…। कभी थमना तो,तेज बहते जाना… जीवन का खेल सिखाती मुस्कुरा खुशियों से.. गमों में यूँ गुनगुना, कल..आज-कल… क्या हुआ,अब होगा क्या..? अनुरागी-वैरागी मन… रचती जन्म-जन्मान्तर… जागृत पुण्यों को करती। रागिनी बन दिल […]