दूसरों के गम मिले तो बाँटिए। नेकियों के बीज बोते जाइए।। क्यों अँधेरों में भटकते रात दिन। खोल के दिल रोशनी में जाइए।। लौट कर तीर-ए-ज़ुबाँ आता नहीं। जहर बातों में न अपनी डालिए।। ज़िंदगी खुद रंगों से भर जाएगी। इक दफा तो दिल लगा कर  देखिए।। जिंदगी का है […]

दिल की खुली किताबों पर, मैं प्रियवर तेरा नाम लिखूं। इसके हर कोरे पन्ने पर तेरे, संग महकती शाम लिखूं।। जीवन के कोरे कागज़ हैं, जो तुम आओ तो रंग खिले। तेरे संग चले मेरी साँसें,तेरे साथ ही पूर्ण विराम लिखूं।।                   […]

शूल मेरे गाँव के अब,फूलों से भी प्यारे लगे, शहरों में रहते हुए,जी-सा भर आया है। माँ की नहीं गोद यहाँ,पिता का आदर्श नहीं, कांक्रीट का वन यहाँ,लोगों ने बसाया है।। सुबह से शाम यहाँ,यादों में गुजरती हैं। आता न समझ यहाँ,अपना पराया है।। छूट गए घर द्वार,रिश्तों की खबर […]

बहुत जी चुके इन वीरानों में,बस साँसों का जाना बाकी है, इस सूने आगार में दिल के तेरा आना बाकी है..। बाकी है तेरे हाथों से कुछ जाम सुनहरी रातों में, बाकी है विलय मेरा हो जाना,तेरी झील-सी गहरी आंखों में, हाथों में लेकर हाथ वो चलना,पथरीली पंगडंडी पर भरी […]

1

क्या गति कर डाली है हिन्दी की हिंदुस्तान में, क्षत-विक्षत हो हिन्दी रोती इंग्लिश के कूड़ेदान में। इंग्लिश यहाँ संभ्रांतों की अब भाषा समझी जाती है, हिन्दी हर एक सभा में अब जाने से कतराती है। पहन मातृभाषा का चोला दर-दर की ठोकर खाती है, गैरों की है क्या बिसात,अपनों […]

नमस्कार, समझ नहीं आता कि,कैसे और कहाँ से शुरु करुं, आखिरकार आप लोगों की करस्तानियाँ ही कुछ ऐसी हैं। आप कॉलेजों के बाहर,गलियों के मुहानों तथा नुक्कड़ों पर मिलने वाली वही महान विभूतियाँ हैं,जो लड़कियों का जीना हराम कर देते हैं। यूँ ही आवारागर्दी करते-करते आप को कोई भोली-भाली लड़की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।