क्रोधाग्नि है जिसका भूषण शीत उसे क्यों लगती होगी । आग उगलते जो जिह्वा से शीत उसे क्यों लगती होगी । सुखी देख कर अपने लोगों को जो जलते क्या ठंड लगेगी। आग लगाते जो समाज में उनके घर क्या आग जलेगी। शीत में पारा गिरते देखा मानव चरित्र हर […]

“आज हिम्मत करके आया था कि आज तो प्रपोज कर ही दूंगा”! KST के किनारे लक्खी  बुर्ज पर मिलना था उससे!  मैं असमंजस में था कि क्या गिफ्ट दूं फिर अचानक से याद आया कि गोल्डन पेन दे देता हूँ  हमेशा साथ रखेगी!  Deo छीड़ककर मिलने को तैयार हुआ और […]

मैं उसके बताये पते पर टाइम से पहले ही पहुँच गया था,  मिलने की ललक जो थी !  आसमान में पक्षी उड़ रहे थे और पानी की लहरें हिलोरे ले रही थी जैसे बाँहे फैलाकर प्रीतम से मिलने को आतुर हो!  KST के किनारे कबूतरों का झुंड और आसमान में  […]

कितना सूना है दिल का मेरे आसमाँ, चाँद मेरा न जाने कहाँ खो गया। टूटे तारें मैं ऐसी ही माँगू दुआ, टूटे तारें तो तेरी ही माँगू दुआ, तेरी यादों में खोया रहा इस तरह, रात थी जाने कब फिर ये दिन हो गया। तू ही राहें मेरी तू ही […]

तुम मिले और मेरी जिंदगी में आ गये, मैं तुम्हारे लिए ही स्टेटस लगाता हूँ ताकि तुम मेरी फीलिंग को समझ सके, तुम कहीं बार मेरे मैसेज को अनदेखा करते हो, फिर भी मैं तुम्हें मैसेज करता हूँ, तुम बिना गुड नाईट किये सो जाते हो, फिर भी मैं गुड […]

हिंदी है मेरी मातृ सदृश हिंदी की गौरव गाथा है । हिंदी में लिखना भाव प्रकट हिंदी ही हमारी भाषा है । हिंदी वैज्ञानिक लिपि वाली। नहि मूक स्वरों का समावेश निज भाषा उन्नति से ही मिल एक  हुआ सम्पूर्ण देश । विस्तृत कलेवर हिंदी का विश्व में  दूसरा  स्थान […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।