धुंध के मुझे पार है जाना। है प्रकाश बन के लहराना॥ फैला है जो धुंआ, अंधेरा। उस पर बनना मुझे सबेरा॥  हैं ये अज्ञान की जो। ज्ञान की राहें रोके है॥ आएगा जब नया सबेरा। ज्ञान सूर्य चमकाने को॥ दूर होगा तम का डेरा। प्रकाश किरण पाने को॥ आधारशिला शिक्षा […]

  जिन्दगी  के आँधियों के झोंके सहज मन झेलिए। व्यथा-कथा की पुलिन्दा किसी से न खोलिए॥ कम करना चाहते सचमुच हृदय की वेदना। मात्र कहिए एक प्रभु से आप निज संवेदना॥ हर दौर हर ठौर में हैं दुश्मन भरे जस्बात के। कर सकते न्याय कहाँ वे आपके हालात से ? […]

तुम परम दिव्य प्रभु जी, तुमको है कोटि नमन तुम निराकार परमेश्वर, साकार भी बने स्वयम्॥ तेरा राम रूप अति सुन्दर, श्री कृष्ण रूप नहीं कम ? तेरा शिव रूप कल्याणक, रुद्र रूप है परम प्रचन्ड ॥ शारदा लक्ष्मी तुम रूद्राणि, तुम त्रिगुणा शक्ति अनन्त। तुम रुक्मिणी सीता  माता, तुम […]

कलुष-कलि-कलश पर, गीता यष्टी  प्रहारक  है। कर्म ज्ञान  और भक्ति, यह सबका विचारक है॥ सुरभि श्री कृष्णारविन्द की, अर्जुन -अलि का  प्यारा । जगत की  पापनाशिनी, परम सुरसरि की है  धारा॥                                       […]

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हे रामेश्वर  हे नागेश्वर, हे कामेश्वर जय जय जय। हे अखिलेश्वर हे विश्वेश्वर, हे श्रवेश्वर जय शिव जय॥ हे त्रिपुरारि हे कामारि, विश्वपति करुणाकर जय। नीलकन्ठ हे अम्लेश्वर, पाशुपतेश्वर जय शिव जय॥ जय शिव शंकर जय प्रलयंकर, जय गिरीश  गिरिजापति जय। जय पशुपति महादेव उग्र भव, जय भीम ईशान शर्व […]

चारुचन्द्र की चाँदनी मनोहर, शरद रितु में जब-जब छाती। मेरे अनुरागी मन में प्रिया याद तेरी बरबस आती ॥ होती कठिन कठोर व्यथा, सहना या कहना घोर प्रिये। चक्रवात-सा विकल विवश, अजब अनोखा दर्द लिए॥ बैरन बन जाती है रजनी, तनहाई में तेरी हूक जगा!। प्रीत पंथ पर हरदम सजनी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।