कुछ देर तो अँधेरों में भी गुज़ारा करो कभी कि रोज़ चाँद पूनम का निकल नहीं सकता आज आप सरकार हैं तो सब उलट देंगे क्या तलवार की धार भी तारीख*बदल नहीं सकता जिस दिल को रुसवाई की आदत हो जाए फिर बहार भी आ जाए तो मचल नहीं सकता […]

उसे खूब मालूम है ज़ुल्म ढाने का तरीका ज़ख़्म देता है तो उसपर नमक भी रखता है क्या कर सकेंगे आप उसके जुर्रत का मुकाबला वो झूठ बोलता है तो धमक भी रखता है दिन को पाट दिया काली अँधेरी रातों से,वावजूद इसके अपने चेहरे पर वाइज़ चमक भी रखता […]

ये धुँध छँट जाए तो फिर चेहरा देखना धूप सेंकता हुआ कोई चाँद सुनहरा देखना उनसे मिल आईं तो हवा ये बतियाती हैं गर्म चाय की प्याली में ढ़लता कोहरा देखना निकलो तुम जो कभी अलसाये सवेरों में ओंस से अपने बदन धोते हुए पेड़ हरा देखना रखना गर ख्वाहिश […]

आज वो भी जुल्म के शिकार हुए जो जुल्म किया करते थे भगवान की भी हम जात देख लेंगे सरे आम कहा करते थे इनको न काशी न ही कुम्भ की कोई समझ थी कभी जो गंगा को हिन्दू और यमुना को मुसलमान कहा करते थे भाईचारे की राख और […]

ज़माने से हुई ख़बर कि मैं सुधर गया फिर वो कौन था जो मेरे अंदर मर गया दूसरों की निगाहों से जो देखा खुद को आज देख कर अपना ही चेहरा क्यों डर गया वो अल्हड़पन,वो लड़कपन कल तक जो था आज ढूँढा बहुत,ना जाने किधर गया मैं खोजता रहा […]

वो मुझे मेरी हद कुछ यूँ बताने लगा जो डूबा मेरे रंग में,बेहद बताने लगा इक आँधी चली और नेस्तोनाबूत हो गया वो दिया जो कल सूरज का कद बताने लगा जहाँ भी मिले अपनों के सर कटे हुए लाश अखबार उसी को बारहां सरहद बताने लगा पहले आँख फोड़ते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।