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मैं किसान हूं , देश का सम्मान हूं। देश जाति भेदभाव से, मैं अनजान हूं।। पसीना बहाता हूं, धूप में सिकता हूं। खेत पनियता हूं, अन्न उगाता हूं.. इंसा तो इंसा, पशुओं को भी खिलाता हूं.. क्योंकि, मैं किसान हूं।। ईश जो भी देता है, मुझे बहुत होता है जो […]

नहीं चाहिए तुम्हारी झूठी संवेदना,खोखली हमदर्दी, और फरेबी शाब्दिक जुगाली। मत करो मजदूर दिवस की आड़ लेकर मुझे इन्सानी बिरादरी से अलग। कर्म तुम भी करते हो कर्म मैं भी करता हूँ, जिन्दगी से परेशान तुम भी, परेशान मै भी.. तो  फिर सिर्फ मेरी ही बेबसी, लाचारी और बदहाली पर […]

सगरों की उर्मियों में, तुम दिखे हो गीत मेरे । फूल की हर पाँखुरी में, तुम हँसे हो गीत मेरे ।। उर धड़कते, बनके धड़कन.. तुम बने मन ईश मेरे। दूध से निखरे उजाले, बन गए मन मीत मेरे.. रात के घनघोर टिम में, तुम छिपे हो गीत मेरे।। आप […]

तुमको जाना दूर बहुत है, पर मेरी तो रात यहीं है। तुम क्या जानो, हमने कितने झंझा के पँखों को नोंचा चक्रवात में.. फंसकर हमने खुद पर कैसे, मौन उलीचा। तेरा मन तो क्रूर बहुत है, झर-झर गिरते पात यहीं है।। दोपहरी में, खिला फूल-सा झंझावात में उड़ी धूल#सा, लहरों […]

मित्रों,आज विश्व रचनात्मकता दिवस पर बात अपने-अपने भीतर छुपी रचनात्मकता की। विधाता की सर्वश्रेष्ठ कृति के नाते हम सबमें कोई- न-कोई रचनात्मकता अवश्य छिपी है। आवश्यकता सिर्फ उसे पहचानने की है। रचनात्मकता सिर्फ लेखन,प्रकाशन,चित्रकारी,कलाकारी, अभिनय,गायन-वादन आदि तक ही सीमित नहीं है। इसका फलक इतना व्यापक है कि, उसे किसी एक […]

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मौत के खौफ से भागती जिंदगी, खौफ के खौफ से भागती जिंदगी। करे क्यों यकीं कैसे धीरज धरे, नेह के नाम से काटती जिंदगी। कैसे कह दूँ कि वो सितमगर नहीं, एक-एक कोर को ताकती जिंदगी। अंधेरा इस तरह हर सूं छा गया, रोशनी के लिए झांकती जिंदगी। संग हवाएं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।