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जिंदगी है ये तो टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर गुजरेगी, सुख और दुख क्या,यह तो सबमें होकर गुजरेगी। चलना भी आखिर कहाँ तक लिखा इस सफर में, जहाँ रुके कदम,वहीं नए रास्तों से होकर गुजरेगी। निराशा में ही आशा की लौ जलती है महसूस करो, है कुछ अगर उम्मीद,तो पर्वतों से […]

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याद बहुत आते हैं हमको बालपन के दिन, खड़िया-बोदका,पाटी-बस्ता,पेंसिल वाले दिन। गाय-भैंस का मट्ठा-मक्खन,मावा वाले दिन, खीरा-ककरी,बिही,मकाई की टोररी वाले दिन… याद बहुत आते हैं हमको बालपन के दिन।। खड़िया-बोदका,पाटी-बस्ता,पेंसिल वाले दिन, खिचरी-छुआ-छुउव्वर्,आइस-पाइस वाले दिन, लापची-डंडा,आटा पिल्लो खो-खो वाले दिन.. याद बहुत आते हैं हमको बालापन के दिन.. खड़िया-बोदका,पाटी-बस्ता, पेंसिल […]

सिमटने लगे हैं घर,अब दादी के दौर के, बिखरने लगे हैं लोग,जब गाँव छोड़ के। हो गया बड़ा मेरा गाँव,सरहद के छोर से, बनने लगे मकां,जब घरों को तोड़ के। सिमट गई नजदीकियां,मिटने की कगार तक, देखे हैं जब से रिश्ते,बस पैसों से जोड़ के। नहीं आता कोई काम,मुश्किल में […]

अपने और सच्चे, कभी भी साथ नही छोड़ते हैं.. चाहे जैसी मुसीबत हो,साथ में होते हैं। परीक्षा जो लो, मुसीबत में मुँह नहीं मोड़ते हैं, वे तो मतलबी.. यार है जो समय बदलते ही अपनों से रिश्ता तोड़ लेते हैं। ये दोस्त यार नहीं, मतलब परस्त ही लोग होते हैं, […]

दुनिया के हर इंसान को,क्या-क्या नाच नचाती है रोटी, एक सीधे सच्चे इंसान को,कैसे-कैसे हालातों से मिलाती है रोटी। जितनी आपाधापी है दुनिया में,उसका सीधा कारण है रोटी, महिलाओं की चिड़चिड़ाहट का भी, सीधा कारण है रोटी। गर ये रोटी,ये भूख न होती दुनिया में, तो इंसान की आधी परेशानियां,कम […]

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मो संग करी बड़ी नादानी ,न आऊँ तोरे द्वार पिया, मैं भोली सीता बन आई ,तुमने तो अविश्वास किया। पाप इंद्र का मढ़ मेरे सर ,पाषाणों-सा श्राप दिया मैं बावरी न मानी,फिर द्रौपदी का अवतार लिया, द्वापर मैं चौसर की खातिर ,लगा दांव पर मुझे दिया जितनी सीधी मैं बन जाती ,तुम बनते बेईमान पिया… मो संग करी बड़ी नादानी ,न आऊँ तोरे द्वार पिया ……..।। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।