दुनिया के हर इंसान को,क्या-क्या नाच नचाती है रोटी,
एक सीधे सच्चे इंसान को,कैसे-कैसे हालातों से मिलाती है रोटी।
जितनी आपाधापी है दुनिया में,उसका सीधा कारण है रोटी,
महिलाओं की चिड़चिड़ाहट का भी, सीधा कारण है रोटी।
गर ये रोटी,ये भूख न होती दुनिया में,
तो इंसान की आधी परेशानियां,कम होती दुनिया में।
खाता तो है दो रोटी,और मारा-मारा फिरता है,
पूरे परिवार की खातिर,कितनों की झिड़की सहता है।
कभी-कभी इंसान का आत्म सम्मान भी दांव पर होता है,
फिर भी विपरीत हालातों सेउसे स्मझौता करना पड़ता है।
अगर ईश्वर ने इस रोटी को,भूख की दवा न बनाया होता,
तो आज हर इंसान विकास के,किसी और शिखर पर होता।।
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।