आज फिर रात से,उधार सुकून के लम्हे मांगते हैं…
चलो, आज फिर मुक़द्दर सुधारते हैं।
कुछ टूटे ख्वाब,कुछ बीमार-सी ये ज़िन्दगी जो है,
उम्मीदों के धागे से टूटी सांसों की
तार जोड़ते हैं।
घुटन-सी है चुभन-सी है अक्सर, ज़िंदगी के रास्तों पर..
बैठें कहीं वीराने में, चंद सांसें उधार मांगते हैं।
जिस्म है फ़ना,’दिल’ बंजर
ज़मीं-सा सूखा..
आओ,रेत के सहरा में बारिशों को मांगते हैं।
ये तो जंग है तक़दीर से,उस खुदा
की पुरानी..
सिकंदर तो मुफ़लिसी में भी जीना जानते हैं,
चलो आज फिर मुक़द्दर सुधारते हैं..।
#हरप्रीत कौर
परिचय : मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहने वाली हरप्रीत कौर कॊ लेखन और समाजसेवा का बेहद शौक है।आपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई समाजकार्य में ही की है। कई एनजीओ के साथ मैदानी काम भी किया है। आपकी उपलब्धि यही है कि,2015 में महिला दिवस पर इंदौर की 100 महिलाओं में इन्हें भी समाजकार्य हेतु सम्मानित किया गया है। आप वर्तमान में महिला हिंसा के विरुद्ध कार्यरत हैं तो,कौशल विकास कार्यकम तथा जनजागरूकता के कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं।
Hmaare smaaj ko jrurat hai ke har mahila khud me itni himmat sjoye ke apne sath sath durso ki zindagi me khushiya bharne ke kabil ban jaye.asal me aurat ko kisi se brabari ka darza mangne ki jrurat hi nahi hai..wo khud bahut shaktishaali hai..bas jrurat hai usay apne andar ki shakti ko pehchan ne aur jgane ki… Well done Harpreet kaur you are doing very good job..keep it up…
Congrats di.
Good job preet