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हे ! राम
तुम्हारा नाम लेकर
ये जगत सारा जीता है,
जीवन की कठिनाइयों भरा
जहर सारा पीता है।
मुश्किल घड़ी जब आती है
तो तुम ही याद आते हो,
दर्द भरे ज़ख्मों को हमारे
तुम ही तो सहलाते हो।
जन्म-मरण के बीच की
तुम ही तो कड़ी हो,
तुम से हार जाती है
मुश्किल कितनी बड़ी हो।
श्री राम-राम करते-करते
श्री हनुमान बजरंग बने,
सारी वानर सेना के
गर्व से सीने तने।
हे ! राम कष्टों को हमारे
सारे आप दूर करो,
भवसागर में फंसी है नैया
इसको अब तो पार करो।
अयोध्या नगरी में प्रभु जी
मन्दिर तुम्हारा भव्य बने,
हर भक्त तुम्हारा प्रभु जी
कामना हर दम यही करे।
कामना हर दम यही करे…॥
#अनुभा मुंजारे’अनुपमा’
परिचय : अनुभा मुंजारे बिना किसी लेखन प्रशिक्षण के लम्बे समय से साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘अनुपमा’,जन्म तारीख २० नवम्बर १९६६ और जन्म स्थान सीहोर(मध्यप्रदेश)है।
शिक्षा में एमए(अर्थशास्त्र)तथा बीएड करने के बाद अभिरुचि साहित्य सृजन, संगीत,समाजसेवा और धार्मिक में बढ़ी ,तो ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की सैर करना भी काफी पसंद है। महादेव को इष्टदेव मानकर ही आप राजनीति भी करती हैं। आपका निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में डॉ.राममनोहर लोहिया चौक है। समझदारी की उम्र से साहित्य सृजन का शौक रखने वाली अनुभा जी को संगीत से भी गहरा लगाव है। बालाघाट नगर पालिका परिषद् की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष रह(दस वर्ष तक) चुकी हैं तो इनके पति बालाघाट जिले के प्रतिष्ठित राजनेता के रुप में तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं। शाला तथा महाविद्यालय में अनेक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर विजेता बनी हैं। नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए नगर विकास के अच्छे कार्य कराने पर राज्य शासन से पुरस्कार के रूप में विदेश यात्रा के लिए चयनित हुई थीं। अभी तक २०० से ज्यादा रचनाओं का सृजन किया है,जिनमें से ५० रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका है। लेखन की किसी भी विधा का ज्ञान नहीं होने पर आप मन के भावों को शब्दों का स्वरुप देने का प्रयास करती हैं।
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Fri Nov 17 , 2017
एक कथा दो सभ्यता, बुनी पटकथा कर दी खता। परतंत्र थे न स्वतंत्र थे, आतताइयों के सब षड्यंत्र थे। अपने ही कुछ गद्दार थे, उनके बढ़े यूँ अत्याचार थे। दोहराओ तुम न भुलाओ तुम, घाव दासता के दिखलाओ तुम। भूलेंगे न हम बलिदान को, बट्टा न लगे कुलमान को। उत्तेजित […]