हम तुमसे मिले या नहीं मिले,
पर भावों से भूल बहुत की है
कभी हँसी में की,
कभी ख़ुशी में की
या बात हमारी तुमको चुभी,
हम कहते हैं कि सब भूलों को
भूल जाओ…भूल जाओl
हम जन्में हैं,जबसे समझो,
त्रुटियों का एक पुलिन्दा हैं
प्रभु ने राह बताई है कि,
आइन्दा सतवाणी हो
एक उपाय बताया है कि,
मन की मलिनता धुलती हो
यह दिन है अंतस शुद्धि का,
भावों की कलुषता धोते रहोl
हम कहते हैं स्वर्णिम अवसर ये,
व्यर्थ नहीं यूँ जाने दो
आलम तो अब बस ऐसा हो,
कि क्षमा का देना-लेना करोl
हम तुमसे रूबरू,चाहे न हुए,
अनजाने ही दुख झिलाते रहे
कभी यादों में,
कभी वादों में
कभी शब्दों में शूल चुभोते रहे,
हम कहते हैं याद हमें रखकर
नादानी को नज़र अंदाज करोl
सुन लो प्रियवर न भुलाना हमें,
चाहे गलती सारी भुला बैठोl
हम अज्ञानी अतिचारी हैं,
मानव हैं लोकाचारी हैं
पर किससे कहें अपना दुःखड़ा,
तुम्हारे ही अपराधी हैंl
फिर से ये कहते हैं बंधु कि,
क्षमा का दान हमें दे दोl
इस पल की ख़ुशी का पुण्य करो,
शूल-सी वाणी को बिसराओ
हम कहते हैं क्षमा धरो मित्रों,
मन का मैल निकलने दो
इतना-सा और अहसान करो,
क्षमा करो,कर से क्षमा करो
हम अभी करते हैं,तुम भी करोll
#कुसुम सोगानी
परिचय : श्रीमती कुसुम सोगानी जैन का जन्म १९४७ छिंदवाड़ा (म.प्र.) में हुआ है|आपने शालेय शिक्षा प्राप्त करने के बाद बीए(इंग्लिश व अर्थशास्त्र),एमए(हिंदी साहित्य),एमए(समाजशास्त्र) व विशारद(हिन्दी साहित्य रत्न) किया हैं| साथ ही इलाहाबाद (हिन्दी प्रचारिणी सभा) से संस्कृत मे कोविद्, सुगम गायन-वादन और झुंझुनू (राजस्थान)वि.वि.से पीएचडी जारी है|आप हिन्दी साहित्य,अंग्रेज़ी भाषा, संस्कृत,मारवाड़ी और राजस्थानी सहित गोंडवाना भाषा ही नहीं, मालवीभी लिखना-पढ़ना तथा अच्छा बोलना जानती हैं| आप आकाशवाणी इंदौर में कई कार्यक्रमों का संचालन कर चुकी हैं| यहाँ सालों तक कई कहानी प्रसारित हुई है| आपकी अभिरुचि रचनात्मक लेखन और कहानी कविता भजन तथा जैन धर्म के विषय पर लेखन में है| कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होने के साथ ही आप कई सामाजिक-धार्मिक संस्थानों मे सहयोगी के रूप में सक्रिय है |आपका निवास इंदौर में है|