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काश ऐसी बरसात आए,
जिसमें अहम डूब जाएं।
नफरत की जमीं काई पर,
भाईचारे के फूल खिल जाएं॥
काश ऐसी बरसात अब आए,
बगावत के पत्थर पिघल जाएं।
घर-घर सुख-शांति, खुशियां हों
‘मैं’ अब ‘हम’ में बदल जाएं॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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