योग

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योग मुक्ति का मार्ग बतावे,
जीवन पूर्ण बनावे योग..
सुप्तज्ञान शक्ति का जगण,
रहित विकार करावे योग।
लम्बा जीवन जिओ धरा पे,
अपनाकर भारत का योग,
जीवन को नव जीवन दे दो..
भीतरी शक्ति अपनाकर योग।
माया से मुक्ति का द्वार है,
मिलन विछोह का एकाकार..
द्वैत मिटा अद्वैत को लावे,
योग शक्ति का यह आकार।
तन मन नैतिक आध्यात्मिक,
परिवर्तन कहलाता योग..
व्यक्ति,संस्कृति और समाज का,
स्तर ऊंचा करता योग।
भाव-अभाव में पूर्ण अपूर्णता,
लाना ही है योग का काम..
मन से आत्मा पाप से पुण्य,
सूत्र पिरोना योग का नाम।
मन विज्ञान सर्वांग साधना,
बस सिखलाता केवल योग..
मन की चेतना सूक्ष्म परत,
उघाड़ना सिखलाता योग।
व्यायाम,न उछलकूद ही,
न संगीत ध्वनि नर्तन..
बैठना स्थिर भाव से केवल,
लाता तन-मन में परिवर्तन।
न शारीरिक अभ्यास है,
आसन,न सिर्फ बैठना जान..
वातावरण स्थान रूप में,
तन-मन को बस ढालना मान।
आत्मा से परमात्मा मिलन का,
शुद्ध योग का बस है काम..
तन सौष्ठव शक्ति अरु स्वास्थ्य,
दृढ़ बनाना योग के नाम॥

                                                                          #सुशीला जोशी

परिचय: नगरीय पब्लिक स्कूल में प्रशासनिक नौकरी करने वाली सुशीला जोशी का जन्म १९४१ में हुआ है। हिन्दी-अंग्रेजी में एमए के साथ ही आपने बीएड भी किया है। आप संगीत प्रभाकर (गायन, तबला, सहित सितार व कथक( प्रयाग संगीत समिति-इलाहाबाद) में भी निपुण हैं। लेखन में आप सभी विधाओं में बचपन से आज तक सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों का प्रकाशन सहित अप्रकाशित साहित्य में १५ पांडुलिपियां तैयार हैं। अन्य पुरस्कारों के साथ आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा ‘अज्ञेय’ पुरस्कार दिया गया है। आकाशवाणी (दिल्ली)से ध्वन्यात्मक नाटकों में ध्वनि प्रसारण और १९६९ तथा २०१० में नाटक में अभिनय,सितार व कथक की मंच प्रस्तुति दी है। अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षण और प्राचार्या भी रही हैं। आप मुज़फ्फरनगर में निवासी हैं|

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।