शब्दों के कैक्टस से लेकर छंद लिए कुछ फाग से आँसू तक की यात्रा रही सृजन विविधा में

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इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर के साप्ताहिक कार्यक्रम सृजन विविधा में शुक्रवार को कई विषयों पर रचनाकारों ने अपनी रचनायें सुनाईं। सृजन विविधा में डॉ. मनीष दवे ने कविता ‘ख्वाहिशों के पन्नों में ज़िन्दगी ख़ूबसूरत बन जाती है।’
तनिश तिवारी ने निष्कर्ष विषय पर लेख पाठ किया। इनके बाद कल्याणी गुप्ता ‘कृति’ ने विरह गीत ‘छंद लिए कुछ फाग से मैंने, आँसू बिरहन के राग से मैंने। सविता रघुवंशी ने कविता ‘मेरा मन चाहता है’ का पाठ किया।
शीला चंदन ने ‘बोध का वह अनवरत सफ़र, तब बुद्ध रूप प्रखर हुआ’, रमेश चन्द्र शर्मा ने शब्दों के कैक्टस रचना में पढ़ा कि ‘असंख्य अपाहिज शब्द, गूंगे बहरे हो चुके बेड़िया रगड़ अब क़िताबों में छप रहें।’ श्रुति शुक्ला ने अपनी कविता जाने दो यारो सुनाई। तैय्यब हुसैन ने अपनों से हार ग़ज़ल पढ़ी। अब्दुल हाफ़िज़ ने हिंदी भाषा तुझे नमन रचना का पाठ किया। मणिमाला शर्मा ने स्वामी विवेकानंद जी पर अपने विचार साझा किए। मदनलाल अग्रवाल, दिलीप नेमा, ब्रज जैन, नीलम रघुवंशी आदि ने काव्य पाठ किया।


कार्यक्रम का संचालन साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने किया।

कार्यक्रम में डॉ. कृष्ण चंद्र सक्सेना की संस्मय प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘अनहद नाद’ का लोकार्पण समिति के उप सभापति सूर्यकांत नागर, साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह व मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने किया। कार्यक्रम में समिति के प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर राजेश शर्मा, अनिल भोजे, जगदीश अवस्थी, घनश्याम यादव, किशोर यादव, अखिलेश राव, ममता सक्सेना, डॉ. निखिल सक्सेना आदि काफ़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे। अंत में आभार समिति के उपसभापति सूर्यकांत नागर ने व्यक्त किया।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।