इन्दौर। श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर द्वारा “साहित्यिक समीक्षा” पर केंद्रित एक और नियमित आयोजन प्रारंभ किया जा रहा है इसमें प्रति माह के अंतिम शनिवार को किसी एक “चर्चित पुस्तक” पर चर्चा संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। शोधार्थी, पाठक और साहित्यकारों के बीच होने वाली इस बौद्धिक चर्चा से उत्कृष्ट पुस्तकों की जानकारी मिलने के साथ ही चर्चित साहित्य के प्रति रुझान बढे़गा। प्रथम आयोजन में वरिष्ठ लेखक अश्विनी कुमार दुबे के उपन्यास ‘रास्ते इधर से भी हैं’ पर चर्चा संगोष्ठी से हुआ। लेखक ने अपनी रचना प्रकिया पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि ‘मुझे अपने लेखन से कोई क्रांति नहीं करनी वरन लेखन से सामाजिक समरसता और सकारात्मक चिंतन की प्रतिष्ठा करना चाहता हूँ।’ रचनाकार का परिचय देते हुए कथाकार सतीश राठी ने कहा कि ‘पुस्तक जीवन मूल्यों की स्थापना और मूल्यों के हस्तांतरण का संदेश देती है।’ पुस्तक पर समीक्षात्मक चर्चा करते हुए अंतरा करवड़े ने औपन्यासिक शिल्प और इसमें निहित दर्शन की चर्चा करते हुए कहा ‘यह जमीन से जुड़े अनुभवों का दस्तावेज है जिसके द्वारा सकारात्मकता पर भरोसा जताया है।’
आयोजन में डॉ.रामकिशन सोमानी, डॉ.अर्पण जैन, डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, डॉ अखिलेश राव, डॉ.किसलय पंचोली, दीपक गिरकर आदि साहित्यकार उपस्थित थे जिनके गंभीर प्रश्नों के उत्तर भी लेखक ने दिए। विचार ,दर्शन के साथ गंभीर लेखन पर चर्चा के इस अभिनव आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए संचालन समिति की साहित्य मंत्री डॉ.पद्मासिंह ने किया और अतिथि स्वागत प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर जी ने किया आभार शोध मंत्री डॉ पुष्पेंद्र दुबे ने माना।