राहुल बारपुते पर केन्द्रित ‘समागम’ विमोचित

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इंदौर। हिंदी पत्रकारिता के शीर्षस्थ संपादक स्वर्गीय श्री राहुल बारपुते के व्यक्तित्व एवम कृतित्व पर पत्रकारिता एवम जनसंचार अध्ययनशाला, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी दिवस पर एक विमर्श का आयोजन किया गया । इस अवसर पर शोध पत्रिका समागम का बारपुते जी पर केंद्रित विशेष अंक ‘हिंदी पत्रकारिता के बाबा’ जारी किया गया।
श्री राहुल बारपुते के जन्म शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित इस विमर्श के आरंभ में वरिष्ठ पत्रकार श्री भानु चौबे ने बाबा के साथ काम करने का अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बाबा बहुत ही उदार दिल के थे और जूनियर्स को दबाने के बजाय उन्हें सिखाया करते थे। अपने साथ बाबा की सीख को याद किया और कहा कि एक एक शब्द पर बाबा की नजर होती थी। जिन शब्दों पर बाबा को आपत्ति होती थी, उस शब्द के उपयोग पर संबंधित प्रभारी से उसका अर्थ पूछते थे। जवाब उन्हें ठीक लगता तो शाबासी देते थे। यही बात वरिष्ठ पत्रकार श्री नीलमेघ चतुर्वेदी ने कही। बाबा पर बोलते हुए वह भावुक हो गए। रुंधे गले से उन्होंने बताया कि बाबा ऊपर से सख्त दिखते थे लेकिन भीतर से नरम थे। वे अपने लोगों की खूब चिंता भी करते थे। उन्होंने कहा कि बाबा जैसे बिरले संपादकों का समय गुजर गया क्योंकि बाबा ने बढ़ा हुआ वेतन लेने से इंकार कर दिया और स्वेच्छिक गरीबी को स्वीकार किया।


बाबा के साथ अखबार के पुस्तकालय में काम कर चुके वरिष्ठ ग्रंथपाल श्री कमलेश सेन ने कहा कि मुझ जैसे छोटे से कर्मचारी को भी वे अपनी हाथों से बनी चाय पिलाते थे। उनकी यादें आज भी बसी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार श्री मुकेश तिवारी ने कहा कि छात्र जीवन में एक ऐसा अवसर आया जब बाबा के सामने खड़ा होना पड़ा तो ऐसे लगा कि पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही है । बाबा के पास हर समस्या का समाधान हुआ करता था।

विभागाधक्ष्य डॉ. सोनाली नरगुंदे ने अतिथियों का स्वागत किया। विमर्श में उपस्थित समागम के संपादक मनोज कुमार ने कहा कि आज हिंदी दिवस पर हिंदी के बड़े संपादक बाबा पर अंक निकालते हुए रोमांचित थे तो आज अंक समर्पित करते हुए सार्थक प्रयास महसूस करते हैं। डॉ. सोनाली नरगुंदे ने कहा कि हिंदी दिवस पर हमारे विभाग का यह नवाचार था। उन्होंने उपस्थित अतिथियों, विद्यार्थियों का आभार माना। इस खास प्रोग्राम में श्री बारपुते के सुपुत्र श्री राजीव बारपुते की विशेष उपस्थिति रही।

इस मौके पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ अर्पण जैन, वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ प्रेमजीत सिंह, डाॅ कामना लाड, डाॅ मनीष काले, वरिष्ठ पत्रकार श्री जितेंद्र जाखेटिया सहित अनेक प्राध्यापक, बड़ी संख्या में मीडिया के विद्यार्थी भी मौजूद थे।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।