हिन्दी फिल्म जगत के सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपनी फिल्म ‘आनन्द’ में एक मशहूर डायलॉग बोला था, “जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं….।” इसी सिद्धांत पर चलने वाले कवि सुनील चौरसिया ‘सावन’ ने अपनी छोटी सी उम्र में जो सदाबहार जीवन जिया है उस पर ‘दस्तक साहित्य संसार’ ने एक रोचक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है जिसमें ग्राम- अमवा बाजार, पोस्ट- रामकोला, जिला- कुशीनगर , उत्तर प्रदेश में 5 अगस्त 1993 में जन्मे कवि ‘सावन’ की साहित्यिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक जीवन को दर्शाया गया है। शिक्षा-जगत में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु रजत एवं स्वर्ण पदक तथा केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली से श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान (टीचर फ्रॉम इंडिया) से नवाजे जा चुके सुनील चौरसिया ‘सावन’ को साहित्य – सेवा हेतु मधुशाला काव्य गौरव सम्मान- 2019, हिंददेश साहित्य सम्मान- 2020 , अग्रसर हिन्दी साहित्य सम्मान -2020 जैसे साहित्यिक सम्मान मिल चुके हैं। केन्द्रीय विद्यालय टेंगा वैली अरुणाचल प्रदेश में स्नातकोत्तर शिक्षक, हिन्दी एवं एनसीसी अधिकारी (केयर टेकर ऑफिसर) पद पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे सुनील चौरसिया की सैकड़ों कविताएं देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपके दो काव्य संग्रह ‘स्वर्ग’ तथा ‘हाय री! कुमुदिनी’ भी प्रकाशित हो चुके हैं। ‘दस्तक साहित्य संसार’ की साहित्यिक संपादक डॉ. सुमन सिंह के संचालन में कवि ‘सावन’ ने हिमालय की मनभावन टेंगा घाटी से ‘पहाड़’, ‘गर्भ में बेटियां’ और ‘आकर मेहमान जैसे जाएगा कोरोना’ नामक कविताएं पढ़ीं जिससे एपिसोड में चार चांद लग गया है। ‘दस्तक साहित्य संसार’ के प्रधान संपादक राम कुमार सिंह एवं सहयोगी सिमरन पाठक इत्यादि के सहयोग से देश – विदेश के महत्वपूर्ण साहित्यकारों, विचारकों, कहानीकारों, पत्रकारों इत्यादि पर अनगिनत एपिसोड बन चुके हैं जो प्रशंसनीय प्रयास है।
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