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बिहार के सीवान जिले के चैनपुर गांव के प्रतियोगी छात्र एवं युवा साहित्यकार रुपेश कुमार को ‘जैमिनी अकादमी, पानीपत’ से “भारत गौरव सम्मान – 2021” से गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2021 को सम्मानित किया गया ! रूपेश भौतिक विज्ञान के छात्र होते हुए साहित्य में गहरी रुचि रखते है ! इनकी साहित्य में तीन पुस्तकें मेरी कलम रो रही है, मेरी अभिलाषा , मेरा भी आसमान नीला होगा एवं आठ साझा संग्रह साथ में दो पुस्तक काव्य संसार , नई नौबहार का संपादन भी कर चुके है ! ये भौतिक विज्ञान से स्नातकोत्तर एवं बी.एड कर चुके है साथ ही कंप्यूटर में डिप्लोमा भी कर चुके है अभी सिविल सर्विस के साथ ही नेट की तैयारी कर रहे है ! इनको पूरे भारत मे लगभग 250 से अधिक साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है हाल ही में ‘विश्व जन चेतना ट्रस्ट, भारत’ के द्वारा “रामधारी सिंह दिनकर” सम्मान से भी सम्मानित किया गया है ! एवं “माँ भारती साहित्य सेवा संस्थान, मैनपुरी” से “राष्ट्र समर्पण सम्मान” से भी नवाजा गया है ! इनकी अनेकों रचनाएं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में साहित्यिक एवं विज्ञान से संबंधित रचनाएँ भी प्रकाशित हो चुकी है! अभी रूपेश भारत की राष्ट्रीय साहित्यिक रजि. संस्था “राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान” के राष्ट्रीय महासचिव एवं “राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार” के बिहार इकाई के अध्यक्ष है ! मुकेश की साहित्य साधना का कोई साहित्यिक गुरु नहीं है ये स्वयं से लिखना शुरू किए एक शौक के लिए 2008 से कभी कभी जो आज इस मुकाम पर पहुंच चुके है ! इनकी रचनाओं मे सभी समाजिक, आर्थिक, लड़कपन, शृंगार खुलेआम झलकती है ! इनकी रचनाएँ वास्तविकता से परे होती है! क्योकिं ये काल्पनिकता से अधिक वास्तविकता में विश्वास रखते है! क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण होता है !