तुम मुझको दो खून अपना ,
मै तुमको दे दूंगा आजादी |
यही सुनकर देश वासियों ने,
अपनी जान की बाजी लगा दी ||
यही सुभाष का नारा था ,
जिसने धूम मच दी थी |
इसी विश्वास के कारण ही
उसने हिन्द फ़ौज बना दी थी ||
याद करो 23 जनवरी 1897 को
जब सुभाष कटक में जन्मे थे |
स्वर इन्कलाब के नारों से वे ,
भारत के जन जन में जन्मे थे ||
वे अमर अभी तक विश्व में,
जिन को मृतयु ने पाला था |
वे हिन्द फ़ौज के सिपाही थे ,
सच्चा हिन्दुस्तानी वाला था ||
कहना उनका था वे आगे आये ,
जिसमे स्वदेश का खून बहता हो |
वही आगे आये जो अपने को ,
भारतवासी कहने का हक रखता हो ||
वह आगे आये जो इस पर ,
अपने खून से हस्ताक्षर करता हो |
मै कफ़न बढाता हूँ वह आये आगे,
जो इसको हंसकर आगे लेता हो ||
फिर उस रक्त की स्याही में ,
वे अपनी कलम डुबाते थे |
आजादी के इस परवाने पर ,
अपने हस्ताक्षर करते जाते थे ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)