कृषकों, मजदूरों और आमजनों की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ आम आदमी की तरह सहज, सरल-शैली, व्यक्तित्व और जन-रागात्मकता से युक्त ठेठ देशी अंदाज में अपनी बात रखने वाले गौरीशंकर बिसेन का बचपन से ही गांव की माटी व शहरों की गलियों से गहरा नाता रहा। शोषित, वंचित और पीड़ितों को ठगते निरंकुश-तंत्र के खिलाफ अपनाते बगावती तेवर ने ही अंतस में विद्यमान नेतृत्व क्षमता को जगाने में मुख्य भूमिका निभाई। सही मायनों में ये छोटे-छोटे लोगों के बडे-बडे कामों को अमलीजामा पहनाने के कारण ही आम लोगों के खास नेता हैं। अपने धुन के पक्के जन-जन के गौरी भाऊ ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास अर्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कालजयी, अटल मार्ग के फक्कड़ पथिक गौरी भाऊ राजनीतिक अस्पृश्यता के दौर में सर्व समाज और सर्वदल में सर्वग्राही बने हुए हैं।
फलस्वरूप, साफगोई नीति, नैतिकता और शुचिता की राजनीति के अजातशत्रु गौरी भाऊ को वर्ष 2008 में प्रदेश के मुख्यमत्री शिवराज सिंह चैहान ने हर घर नल, हर घर जल और ब्याज जीरो, किसान हीरो की परणिति के बोध से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के साथ-साथ सहकारिता विभाग के मंत्री का दायित्व सौंपा था। इस जवाबदेही को जनहित में सफलता पूर्वक निभाने के उपरांत आप 2013 में कृषक कल्याण व कृषि विकास मंत्री के तौर पर खेती को लाभ का धंधा बनाने के अभिप्राय जी-जान से जुटे।
परिलच्छित, देश के राष्ट्रपति ने प्रदेश को पांचवी बार ‘ कृषि कर्मण अवार्ड ‘ से सम्मानित किया, वहीं उच्चतम कृषि विकास दर के लिए भी प्रदेश को नवाजा गया। भांति विगत वर्षो में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए सुविख्यात विशेषज्ञों की अनुशंसा पर मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ कृषि राज्य श्रेणी में ‘ एग्रीकल्चर लीडरशीप एवार्ड ‘ मिला। अभिभूत देश में प्रदेश की कृषि की विकास दर क्षितिज पर आसिन होना श्री बिसेन के लक्ष्यभेदी अभियान का प्रतिफल हैं।
स्तुत्य, गौरीशंकर बिसेन का मानना है, कि कृषि लागत में कमी, नवाचार और उत्पादन बढने से ही बढती महंगाई व बेरोजगारी पर अंकुश लगाया जा सकता हैं। अतिरेक प्रति व्यक्ति आय बढने के साथ-साथ विकास दर भी उच्चतम स्तर को प्राप्त कर सकती हैं, क्योंकि आम जीवन में आर्थिक प्रगति की दृष्टि से कृषि में आत्मनिर्भरता और सहकारिता प्रणाली सर्वाधिक कारगर सिद्ध हुई हैं। अभेद्य भारतीय जीवन का मूल दर्शन सहकारिता अर्थात् सब साथ मिलकर चलना व प्रत्येक कार्य में सामाजिक व सार्वजनिक सहभागिता निभाना हमारा सर्वोपरि आधारभूत मानवीय मूल्य हैं।
लिहाजा, 01 जनवरी 1952 को बालाघाट जिले के ग्राम लेंडेझरी में जन्में मध्यमवर्गीय किसान चतुर्भुज बिसेन के सुपुत्र गौरीशंकर बिसेन ने एमएससी की उपाधि विशेष श्रेणी में हासिल की। शासकीय सेवा को न चुनते हुए, जनसेवा को अपना पेथ्य माना। चैतन्य, 1970 के दशक में उत्पन्न राजनीतिक हालातों में जनसंघ और बाबू जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रभावित होकर समग्र क्रांति जनांदोलन में अपनी शक्ति को सत्ता पक्ष की निरंकुशता के खिलाफ प्रदर्शन में झोंक दिया। समकालिन जनप्रिय इस युवा संघर्षशील नेता ने 1977 में सम्मयक पं. नंदकिशोर शर्मा जैसे प्रदेश के दिग्गज, प्रभावशाली कांग्रेसी नेता को अपने नेतृत्व का एहसास कराया। जब प्रदेश में यह आम धारणा रही कि पं. शर्मा को चुनौती देना किसी के बूते की बात नहीं हैं। उस विधानसभा चुनाव में हालांकि श्री बिसेन हार गए, लेकिन 1985 के विधानसभा चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या से कांग्रेस के प्रति उत्पन्न सहानुभूति लहर के बावजूद भी वे कांग्रेस के गढ बालाघाट से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए।
सिलसिलेवार, गौरी भाऊ अपने कुशल उत्तरदायित्व निर्वहन, उत्कृष्ट कार्य व मिलनसारिता से मान्य नेतृत्व को प्राप्त करते हुए लगातार फतेह हासिल की। आप सन् 1985, 1990, 1993, 2003, 2008, 2013 और 2018 में बालाघाट विधानसभा से विधायक चुने गए। 1998 एवं 2004 में आपने बालाघाट लोकसभा क्षेत्र का सर्वस्पर्शी, अद्वितीय प्रतिनिधित्व किया। अगुवाई में बालाघाट जिले ही नहीं अपितु सारे सुबे में जन कल्याण और विकास मूलक आयामों की बयार बहीं, जिसकी गाथा अगाथ हैं। वहीं मध्यप्रदेश भाजपा किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष और भाजपा के दो बार प्रदेश उपाध्यक्ष के दायित्व को निभाते हुए जनता-जर्नादन की समस्याओं को प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर अपनी अद्भूत संगठन क्षमता का विलक्षण परिचय भी दिया। पदचिन्हों पर आरूढ़ आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रेखा बिसेन ने दो बार जिला पंचायत बालाघाट के अध्यक्ष के दायित्व को बखूबी निभाया। वही पथगामी पुत्री मौसम हरिनखेरे समाज सेवा और जन कल्याण का ध्येय लिए अविरल है। अभिष्ठ, प्रदेश के चतुर्दिक विकास के अभिप्राय गौरीशंकर बिसेन सांगोपांग भाव से गत पांच दशक से प्रयासरत हैं। ऐसे मर्मस्पर्शी, प्रयोगधर्मी और जमीनी कर्मयोगी अजातशत्रु को नववर्ष के शुभ अवसर पर जन्म दिवस की अशेष शुभकामनाएं…!
हेमेन्द्र क्षीरसागर
लेखक व विचारक