तर्ज : (हम मेहनत कस इस दुनिया से अपना …..)
हम आदिनाथ की भक्ति को श्रुतधाम जाएंगे।
एक बार नही सौ बार नहीं
हम जीवन भर जाएंगे।
हम आदिनाथ की……।।
माया के चक्कर में पड़कर
अपना जीवन तू गवा रहा।
और झूठ फरेब करके तू
दौलत बहुत कमा रहा।
ये दौलत साथ न जायेगे
जिस दिन तू मर जायेगा।
तब तुझे बड़े बाबा याद आएंगे
पर तेरा सब कुछ मिट जाएगा।।
हम आदिनाथ की भक्ति को श्रुतधाम जाएंगे।
एक बार नही सौ बार नहीं
हम जीवन भर जाएंगे।
हम आदिनाथ की……।।
क्यों अपने मनुष्य जीवन को तू युही गंवा रहा।
मिला है तुमझे मनुष्य जीवन तो कुछ दया धर्म भी करता जा।
यही सब तेरे साथ में जाने वाला है तो तू क्यों इसे गंवा रहा।।
हम आदिनाथ की भक्ति को श्रुतधाम जाएंगे।
एक बार नही सौ बार नहीं
हम जीवन भर जाएंगे।
हम आदिनाथ की……।।
उपरोक्त मेरा गीत भजन बड़े बाबा जी श्रुतधाम बीना के चरणों में समर्पित है।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)