पग पग पर कांटे बिछे
चलना हमें पड़ेगा।
कठिन इस दौर में
हमको संभला पड़ेगा।
दूर रहकर भी अपनो से
उनके करीब पहुंचना पड़ेगा।
और जीवन के लक्ष्य को
हमें हासिल करना पड़ेगा।।
जो चलते है कांटो पर
मंजिल उन्हें मिलती है।
और दुखके दिन बिताकर
सुख में प्रवेश करते है।
और अपनी सफलता को
मेहनत लगन का नाम देते है।
और जिंदगी की सच्चाई
खुद व्या करते हैं।।
भले ही कांटो पर चलकर
छाले पावों में पड़ गए है।
और दर्द सहते हुए भी
आगे बढ़ते गये है।
और लक्ष्य की खातिर
सब कुछ सह गये है।
इसलिए हम जीवन की
ऊंचाइयों को छू पाएं है।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)