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खोटी करी ऐ बादळी,तन मन करियो उदास|
दिनभर फाड़ा आंखड़ल्यां, साँझ पड़्या निराश|
जोर तपे है तावड़ा , जीवन झुळस्यो जाय|
हिवड़े में हुळसाड़ होयग्यो, टिड्डी अन्न ने खाय||
राज उळजग्यो लफड़ा में, पत रो पतन करा रियो हैं |
मिनखपणा की मौत आय गी, जीव जीव ने खा रियो है||
शिव गल्दवा
बीकानेर (रजस्थान)
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