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अगर छेद न होते घर की दीवारों में।
घर की बात न फैलती बाजारों में।।
अगर दम होता प्रशाशन व सरकारों में ।
औरत की इज्जत न लुटती सरे आम बाजारों मै।।
अगर बटवारा न होता हिन्दुस्तान का।
जन्म न होता कभी पाकिस्तान का।
अगर कोरोना का वैक्सीन बना होता।
दुनिया को आज ये दिन देखने को न होता।।
अगर इंसान कानों का कच्चा न होता।
उसे बुराई भलाई करने का मौका न होता
अगर ये सब कुछ दुनिया में न होता।
रस्तोगी को ये लिखने का मौका न होता।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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