प्रेम

1 0
Read Time6 Minute, 14 Second

प्रेम में है जीवन की हर खुशियाँ यहाँ ,
प्रेम में है जीवन की हर दुनियाँ यहाँ ,

प्रेम में है जीवन की हर रुसवाईयाँ ,
प्रेम में है जीवन की हर रंगरेलियाँ ,

प्रेम में है जीवन की परिकल्पना ,
प्रेम में शामिल है हर आत्मा ,

प्रेम में है हर दीवानगी,
प्रेम मे है हर आवारगी ,

प्रेम में है जीवन का पागलपन ,
प्रेम मे है जीवन की अभिकल्पना ,

प्रेम में है जीवन की हर सच्चाई,
प्रेम में भूली जीवन की कड़वाई,

प्रेम मे कोई तोड़ता है चाँद तारे
प्रेम मे हर एक देखता मीठे सपने।

प्रेम मे समाया भौतिकवाद ,
प्रेम है अबूझ ,भाषा ज्ञान

प्रेम की परिभाषा सभी हैं ढूँढते,
प्रेम परिभाषाओं का विज्ञान है ,

सारी संसार मे प्रेम सर्वोपरि है ,
प्रेम मे जीवन की सारी अध्यात्मा ,

प्रेम के बोल पर सभी लुटते यहाँ ,
प्रेम के नाम पर सभी मरते यहाँ ,

प्रेम मे यहाँ भगवान का वास है ,
प्रेम ना हिंदू, सिख ,मुसलमान है ,

प्रेम सभी ग्रंथो मे भी सर्वश्रेष्ठ है ,
प्रेम शब्द कोश का सबसे पवित्र शब्द है ,

प्रेम करने से अभी तक ना हुआ है ,
बिन जानें अनजाने मे प्रेम होता ही है ,

प्रेम मे ना कोई जाति – धर्म होता ,
प्रेम मे ना कोई रंग – रुप होता है ,

प्रेम मे हर कोई अंधा होता है ,
प्रेम मे हर कोई दार्शनिक होता है ,

प्रेम के बल पर कोई तुलसीदास बन गया ,
प्रेम के बोल पर कोई कालिदास बन बन बैठा ,

प्रेम के आन पर कोई सोरठी वज्राभार बन गया ,
प्रेम के नाम पर कोई कृष्ण का दीवाना दास बन गया।

प्रेम के बोल पर कोई हीर राँझा बन गया ,
प्रेम के बोल पर कोई देवदास पारो बन गया !

प्रेम है दुनिया की एक ऐसा शब्द ,
प्रेम के नाम पर लोग अपनी दुनिया लुटा दे रहे !

परिचय ~
रुपेश कुमार
पिता – श्री भीष्म प्रसाद
माता – बिंदा देवी
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी,बी.एड(फिजिकल सांइस),ए.डी.सी.ए(कम्प्यूटर),इसाई धर्म(डिप्लोमा)
वर्तमान – प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
प्रकाशित पुस्तक ~
दो पुस्तक “मेरी कलम रो रही हैं”, “मेरी अभिलाषा”(काव्य संग्रह)एवं आठ साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे !
विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं मे सैकड़ों से अधिक कविता,कहानी, गजल ,लेख प्रकाशित !
राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से दो सौ से अधिक सम्मान प्राप्त यथा –
“भारती ज्योति”(राष्ट्रीय राजभाषा पीठ, प्रयागराज),”साहित्य अभ्युदय सम्मान”(साहित्य संगम संस्थान, इंदौर),”फणीश्वरनाथ रेणू आंचलिक साहित्य सम्मान”(राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान, हरियाणा) “साहित्य साधक सम्मान”(ऑल इंडिया हिंदी उर्दू एकता ट्रस्ट(रजिं),गाज़ियाबाद),”जन-चेतना अक्षर सम्मान”(विश्व जन-चेतना ट्रस्ट भारत, बीसलपुर),”मातृत्व ममता सम्मान”(काव्यरंगोली साहित्यिक संस्था लखीमपुर, लखनऊ), “लीटरेरी कर्नल”(स्टोरी मिरर इंडिया, मुंबई) “केसरी सिंह बारहठ सम्मान-2019″(राजल वेल-फेयर एंड डवलपमेंट संस्थान, जोधपुर),”भारती भूषण”(राष्ट्रीय राज-भाषा पीठ, प्रयागराज),”काव्य सरस्वती”(अखिल भारतीय हिंदी साहित्य परिषद, कप्तानगंज),”साहित्य शिल्पी सम्मान”(साहित्य द्वार संस्था ,बस्ती),”सहयोग साहित्य सम्मान” (सोनल साहित्यिक समूह, बाड़मेर, राजस्थान),”श्रेष्ठ सृजन सम्मान”(राष्ट्रीय कवि चौपाल, राजस्थान),”बेस्ट हिंदी राईटर ऑफ़ द ईयर-2020″ (राजल वेल-फेयर एंड डवलपमेंट संस्थान, जोधपुर)
“राष्ट्र गौरव कलम सम्मान”(अर्णव कलश एसोसिएशन, हरियाणा),”श्रीमती फुलवती देवी साहित्य सम्मान”(मीन साहित्य संस्कृति मंच, हरियाणा ),”साहित्य साधक सम्मान”(अखिल भारतीय साहित्यिकी मंच, सहरसा) “लीटरेरी कैप्टन”(स्टोरी मिरर इंडिया,मुंबई-2020),एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं मे भारत सरकार द्वारा सम्मान प्राप्त इत्यादि!
शौक – वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना , विज्ञान एवं साहित्य की किताबें पढ़ना, मोटीवेशन करना !
रूचि – साहित्य को विज्ञान की दृष्टिकोण से लिखना , सभी विषयों में परिपूर्ण बनना!
हमेशा दिखा-वे की दुनिया से दूर रहना !
राष्ट्रीय महासचिव- राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान (रजिं)
सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य)
सीवान बिहार)

matruadmin

Next Post

साहित्य में नए देवता गढ़ना होना….

Sat Jul 18 , 2020
सुनने और पढ़ने में अटपटा-सा लग रहा होगा, न जाने क्या खुराफ़ात दिमाग़ में चल रही होगी! पढ़ते ही कई तरह के विचार आ गए होंगे कि आखिर ये कैसी बात हुई कि नए देवता गढ़ना होगा? क्या किसी मानव के हाथ में होता है देवता गढ़ना? क्या देवता बनाना […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।