दान की महत्ता क्या होती है यह सनातन धर्म से अधिक कौन जानेगा ? हमने अपना तन, शरीर, सर्वस्व देकर भी शरणार्थी की रक्षा की है। राजा शिवि ने एक कबूतर की जान बचाने के लिए अपना पूरा शरीर काट काट कर बाज को दान कर दिया। राजा बलि ने संपूर्ण सृष्टि तथा स्वयं को भी भगवान वामन अवतार को दान किया। ऋषि दधीचि ने जीवित ही अपनी रीढ़ की हड्डी का दान किया जिससे वज्र का निर्माण होकर मानव समाज की रक्षा हुई। इसी प्रकार मानव कल्याण के लिए रक्तदान का भी विशेष महत्व है। भारत जैसे बड़े देश में रक्त की उपलब्धता एक बहुत बड़ा विषय है। एक्सीडेंट, चिकित्सा, सर्जरी, आदि हेतु भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है जबकि हम चिकित्सालय व अन्य सभी संस्थाओं के माध्यम से 75 लाख यूनिट ही एकत्रित कर पाते हैं। कई परिवार रक्त की अल्पता के कारण उजड़ जाते हैं। इसे देखते हुए ही समस्त हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आदि के द्वारा हर वर्ष रक्तदान के अनेक कार्यक्रम किए जाते हैं रक्तदान के विषय में यह जानना अति आवश्यक होगा कि विश्व में 1 दिन में सबसे अधिक यूनिट रक्त देने का विश्व कीर्तिमान बजरंग दल के नाम है सन 2014 में बजरंग दल ने पूरे भारत में 1 दिन में 82 हजार यूनिट रक्तदान करने का कीर्तिमान स्थापित किया था। इसी प्रकार प्रत्येक 30 अक्टूबर से 2 नवंबर के मध्य बजरंग दल के कार्यकर्ता प्रत्येक जिला केंद्र पर रक्तदान करते हैं तथा रक्त दाताओं की सूची बनाकर चिकित्सालय को उपलब्ध कराते हैं जिनसे पूरे वर्ष रक्त की आवश्यकता होने पर रक्त उपलब्ध किया जाता है रक्त की अल्पता के कारण कोई भी भारतीय ना मरे यह लक्ष्य लेकर कई सामाजिक संस्थाएं भी काम कर रही हैं नागरिकों को जागरूक करना व प्रत्येक तीन माह में रक्तदान करवाना ऐसे उद्देश्य लेकर सैकड़ों संस्थाएं पूरे देश में काम कर रही हैं। सभी सामाजिक कार्यकर्ता तो बिना किसी अर्थ के रक्तदान करते है, जबकि कई महानगरों में आज भी रक्त का मोल भाव होता है।
रक्तदान दिवस की महत्ता समस्त समाज के जागरण हेतु है, क्योंकि समाज में कई ऐसे लोग है जिनका शरीर रक्त बनाने में सक्षम ही नही, ऐसे लोगों को भी रक्त की आवश्यकता बनी रहती है, हमें चाहिए कि अपने क्षेत्र व संपर्क के अधिक से अधिक लोगों तक यह जागरूकता पहुचाएं। रक्तदान से किसी भी प्रकार की कोई कमजोरी नही आती जोकि समाज की अब तक कि भ्रांति बनी हुई है, बल्कि रक्तदान से नया रक्त बनने से शरीर और अधिक स्वस्थ होता है, जिसका लाभ हमें ही मिलता है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, सभी लोगों को 18 से 50 वर्ष की आयु तक रक्तदान करना चाहिए। किसी बीमार व्यक्ति का रक्त नही दिलवाया जाए इसका भी ध्यान रखें। संपूर्ण युवा यदि चाहे तो समाज को जाग्रत करते हुए रक्तदान को एक अभियान बनाकर घर घर को रक्तदान से जोड़ सकते है, हर नगर की रक्तदान की योजना बन सकती है, हर जिले में 200 यूनिट कभी भी उपलब्ध रह सकती है, बस उसे सुचारू चलाने की आवश्यकता है। कई प्रदेशों के जागरूक युवा यह कर भी रहे है, हम भी आज संकल्प लें, कम से कम हर 4 माह में 1 बार रक्तदान जरूर करेंगे। केवल एक दिवस रक्तदान दिवस न बनकर हमारा पूरा जीवन रक्तदान के लिए प्रेरणा बने, तभी हम मानव जन्म का ऋण उतार सकते है।
मंगलेश सोनी
मनावर (मध्यप्रदेश)