लॉक डाउन का मारा,
आम आदमी है बेचारा।
मिलता नहीं कोई सहारा
फिरता है अब मारा मारा।।
मार मध्यम वर्ग पर पड़ी है,
उसकी जुबान बन्द पड़ी है।
मिला नहीं पैकेज उसको,
सरकार भी मूक खड़ी है।।
जिसकी आय बहुत कम थी,
मुश्किल से होता था गुजारा।
यह वर्ग बहुत ही दुखी हैं,
कैसे करे लॉक डाउन में गुजारा।।
पास जो थोड़ी सी बचत थी,
वह भी खत्म हो चुकी है।
दाने दाने के लिए मोहताज है,
इसको ज्यादा मार पड़ी थी।।
अब किसके आगे हाथ फैलाएं,
मौत खड़ी है आगे मुंह बाए।
घर में वह बिल्कुल बन्द पडा है
जाए तो जाए वह कहां जाए ?
टैक्स भी वह पूरा भरता था,
लोन की किश्ते वह भरता था।
अपनी इज्जत बचाने के लिए,
वह यह सब कुछ करता था।।
आय के सोर्स खत्म हो चुके हैं,।
बच्चो की गुल्लके टूट चुकी है।
हर सोर्स पर हर तरफ से
उससे मुख मोड़ चुकी हैं।।
सामान के डिब्बे खाली हो चुके है,
बिजली पानी के बिल उपर चढ़े है
बच्चो की फीस है भरनी बाकी,
इतने सारे कर्ज उस पर चढ़े है।।
कर रहा था मदद गरीबों की,
जो उसके सामने दिखाई देता।
आज खुद खड़ा है मदद के लिए,
उसको कोई भी मदद नहीं देता।।
सरकार से विनती है अब मेरी,
कुछ ख्याल करो मध्यम वर्ग का।
जो अनदेखा पड़ा था अब तक,
उसको हिस्सा दो कुछ पैकेज का।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम