नारी तुम शक्ति हो, हर दुख को अपने में समाही हो।
मान हो,अभिमान हो तुम देश की शान हो।
छूकर आसमाँ करती, सबके मन को बलवान हो।
प्रकाश पुंज बन देती सबको पहचान हो।
तारों का ताज सजे, ऐसी तुम महिमावान हो।
टूटे मन को सहलाती, उम्मीद का तुम चांद हो।
देश की धड़कन का प्रतिबिंब बन खुशियों का पैगाम हो।
शक्ति स्वरूपा,शांति रूपा, हाथों की लकीरें बनाती हो।
पर्वत की चढ़ाई हो या समुद्र की गहराई हो।
हर जगह अपना वर्चस्व बना आई हो।
अपने हर रंग से भर देती सबमें उमंग हो।
विश्वास की डोर हो, परवाज लेती पतंग हो।
सर्वत्र विकास की रखती जुस्तजू हो।
चाहते हैं सब तुमसे रूबरू हो ।
जीवन का संगीत हो, रखती सबसे प्रीत हो ।
नारी क्या परिचय दूँ तुम्हारा, तुम खुद एक परिचय हो ।
शैलजा भट्ताद
बैंगलोर(कर्नाटका)